इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) ने देश की खानपान की आदतों पर हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है. 'व्हॉट इंडिया ईट्स' (what india eats) यानी भारतीय क्या खाते हैं. 

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इस नाम से जारी रिपोर्ट को शहरों और गांव में रहने वालों के खाने-पीने की चीजें और उनके शरीर पर उसका कैसा असर पड़ रहा है, आधार बनाकर तैयार किया गया है.

शहरों में करीब 54 परसेंट लोगों को एब्डोमिनल ओबेसिटी यानी तोंद की समस्या है. यानी शहर में रहने वाले हर दूसरे शख्स का पेट निकला हुआ है. वहीं, गांवों में करीब 19 परसेंट लोगों को तोंद की समस्या है.

रिपोर्ट में ओवरवेट और ओबेसिटी का जिक्र भी है. इसमें शहर में रहने वाले 31 परसेंट से ज्यादा लोग ज्यादा वजन और 12.5 परसेंट लोग मोटापे का शिकार हैं. जबकि, गांवों में 16.5 परसेंट लोग ओवरवेट हैं और करीब 5 परसेंट लोग मोटापे का शिकार हैं.

खानपान की बदलती आदतों से भारतीयों के बॉडी मास इंडेक्स (BMI) में भी बदलाव किया गया है. NIN के मुताबिक, पिछले 10 सालों में लोगों के पोषण तत्व वाले खानपान में इजाफा होने से BMI बढ़ाया गया है.

महिला और पुरुष, दोनों में 5-5 किलोग्राम वजन और 2-3 इंच लंबाई को बढ़ाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, पुरुषों का आदर्श वजन और लंबाई अब 65 किलो और 5.8 फीट हो गई है. जो पहले 60 किलो और 5.6 फीट था.

इसी तरह महिलाओं का आदर्श वजन और हाइट अब 55 किलो और 5.3 फीट हो गई है, जो पहले 50 किलो और 5 फीट थी.

 

रिपोर्ट में रेफरेंस एज भी 20-39 की जगह 19-39 कर दी गई है. दरअसल, बॉडी मास इंडेक्स के जरिए ये तय किया जाता है कि व्‍यक्ति के शरीर के हिसाब उसका वजन और लंबाई कितनी होनी चाहिए. अगर ये ऊंचाई और वजन बीएमआई के तय मानकों से ज्‍यादा होती है तो इसे शरीर के लिए अच्छा नहीं माना जाता है.

ICMR और NIN की रिपोर्ट को बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है. क्योंकि ये पहली बार है जब पूरे देश का डाटा इसमें शामिल किया है.

इससे पहले साल 2010 में जब ऐसी रिपोर्ट बनाई गई थी. उस समय सिर्फ 10 राज्यों से ही डाटा लिया गया था. और उसमें गांवों को शामिल नहीं किया गया था.

NIN की व्हॉट इंडिया ईट्स रिपोर्ट एक और मायने में बेहद खास है. इस बार रिपोर्ट में 'माय प्लेट' की सिफारिश की गई है. यानी आपकी थाली में चीजों का सही अनुपात क्या होना चाहिए, ये बताया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, थाली में 45 परसेंट कैलोरी या एनर्जी के लिए अनाज. 17 परसेंट कैलोरी के लिए दाल. 10 परसेंट कैलोरी के लिए दूध और दूध से बने प्रोडक्ट. और 30 परसेंट या इससे कम फैट होना चाहिए. इसमें पहली बार फाइबर-बेस्ड एनर्जी को भी शामिल किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, रोज 40 ग्राम फाइबर वाली चीजें खानी चाहिए. रिपोर्ट में महिला और पुरुष के काम के हिसाब से फैट लेने की सिफारिश की गई है. बताया गया है कि अच्छा खाना खाने से इम्यून फंक्शन मजबूत होगा और डाइबिटीज, हायपरटेंशन, कोरोनरी हार्ट डिसीज, स्ट्रोक, कैंसर और आर्थराइटिस जैसी तमाम बीमारियों से बचा भी जा सकेगा.

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NIN के मुताबिक, शहरों में क्रोनिक एनर्जी डेफिशिएंसी 9 परसेंट से ज्यादा है. जबकि, गांवों में ये करीब 35.5 परसेंट है. इसका मतलब है कि गांव में रहने वाले हर तीसरे व्यक्ति को शरीर की जरूरतों को पूरा करने लायक खाना नहीं मिल रहा है. 

कैसी हो भारतीयों की 'आदर्श थाली' 

- 45 फीसदी कैलोरी के लिए अनाज

- 17 फीसदी कैलोरी के लिए दाल

- 10 फीसदी कैलोरी के लिए दूध, दूध से बने सामान

- 30 फीसदी तक या इससे कम फैट