रिपोर्ट : कुलदीप नेगी

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उत्तराखण्ड में पहली बार हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्री (CM) अब हिमालयी राज्यों के सतत विकास के मुद्दे पर 1 मंच पर नजर आएंगे. PM मोदी की प्रेरणा पर CM त्रिवेन्द्र रावत की इस पहल के तहत 28 जुलाई को मसूरी (Uttarakhand) में हिमालयन कॉन्क्लेव का आयोजन होने जा रहा है. इसमें हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्री, प्रशासक, विशेषज्ञ व अधिकारी भी मौजूद रहेंगे. इस कॉन्क्लेव में हिमालयी राज्यों के सतत विकास पर वैचारिक मंथन होगा और 1 ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा. हिमालयी राज्यों के विकास के लिए यह ड्राफ्ट नीति आयोग को सौंपा जाएगा.

हिमालयन ड्राफ्ट होगा तैयार 

हिमालयी संस्कृति, आर्थिकी व पर्यावरण के संरक्षण के लिए सभी हिमालयी राज्य 1 मंच पर आ रहे हैं. दरअसल हिमालयी राज्यों के सामने आज विकास की दिशा में बड़ी चुनौतियां है. नीति आयोग बनने के बाद से ही हिमालयी राज्य अलग से अपने विकास का एजेंडा तैयार करने की बात कह रहे हैं. बात उत्तराखण्ड जैसे राज्य की करें तो उत्तराखण्ड हमेशा से ही पर्यावरणीय सेवा के लिए अपने योगदान के बदले केन्द्र से ग्रीन बोनस की मांग करता आया है. 

कई तरह की समस्याएं

आज हिमालयी राज्यों के सामने कई तरह की समस्याएं हैं और समस्या के समाधान के लिए अब गहनता से अध्ययन किया जाएगा. CM त्रिवेन्द्र रावत के मुताबिक यह मंथन भविष्य में हिमालयी राज्यों को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने में मददगार साबित होगा. इससे नीति आयोग व वित्त आयोग को हिमालयी राज्यों की वास्तविक स्थिति को जानने में आसानी रहेगी.

 

ये राज्‍य होंगे शामिल

उत्तराखण्ड में पहली बार हिमालयी सरोकार से जुड़े कॉन्क्लेव का आयोजन हो रहा है, जिसमें तमाम हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्री, प्रशासक और विशषज्ञ हिस्सा लेंगे.  इसमें मुख्यतः उत्तराखण्ड, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, आसाम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम व मणिपुर राज्यों के मुख्यमंत्री व प्रतिनिधि अपने विचार रखेंगे. व्यापक विचार-विमर्श के बाद 1 हिमालयन ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा जोकि नीति आयोग को भेजा जाएगा. 

ग्लोबल वार्मिंग से इको सिस्टम का संरक्षण

बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारतीय संस्कृति व सभ्यता के मूल स्त्रोत हिमालय व यहां की जीवनदायिनी नदियों पर संकट मंडरा रहा है. 'हिमालयी इकोलॉजी की रक्षा के साथ कैसे विकास का लाभ यहां के लोगों तक पहुंचाया जा सकता है', कॉन्क्लेव का मुख्य एजेंडा रहेगा. हिमालय के संसाधनों का उपयोग कैसे यहां की अर्थव्यवस्था को उन्नत करने में किया जा सकता है ताकि यहां के युवा को रोजगार के लिए पलायन न करना पड़े. हिमालय भारतीय सभ्यता का केंद्र बिंदु तो है ही, इसका सामरिक महत्व भी काफी ज्यादा है. सभी हिमालयी राज्यों की सीमाएं दूसरे देशों से जुड़ी हुई हैं. इस दृष्टि से भी कान्क्लेव में चर्चा की जा सकती है. 

PM Modi की पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलशक्ति मंत्रालय बनाकर जल संरक्षण व जल संवर्धन की बड़ी पहल की है. इसमें हिमालयी राज्यों की सहभागिता बहुत जरूरी है. उत्तराखण्ड जैसे राज्य के सामने भी अब जलसंकट एक बड़ी चुनौती के रूप में खड़ा हो रहा है, तेजी से पिघलते ग्लेशियर, सूखते जलस्रोत आज चिंता का कारण है. लिहाजा इस कॉन्क्लेव का उद्देश्य ग्लेशियरों, नदियों, झीलों, तालाबों व वनों को ग्लोबल वार्मिंग से बचाना भी होगा.