Health News: अगर चिप्स, बिस्किट या केक के पैकेट में फैट की मात्रा ज्यादा है. चीनी या नमक तय मानकों से ज्यादा डाला गया है तो उस पैकेट पर लाल रंग का वॉर्निंग साइन बना होना चाहिए. इसी तरह अगर कोई पैकेट बंद खाना (warning sign on packaged food) सेहतमंद है तो उस पर हरे रंग का या नारंगी रंग का साइन होना चाहिए. सोशल मीडिया रिसर्च प्लैटफॉर्म लोकल सर्किल्स के एक सर्वे में ये बात सामने आई है कि भारतीय पैकेज्ड फूड (packaged food) या खाने पर वॉर्निंग लेबल चाहते हैं. 11 हज़ार 439 लोगों पर किए गए सर्वे में से 31 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें खाने के पैकेट पर वॉर्निंग साइन चाहिए.  

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

फेवरेट चिप्स या केक खाना है या नहीं समझ सकेंगे

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 39 प्रतिशत के मुताबिक अगर खाना स्वास्थ्य (Health News) की दृष्टि से सही हो तो उस पर ग्रीन या ऑरेंज साइन बना होना चाहिए. सिर्फ 8 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिन्होंने किसी तरह के निशान में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. भारत में मोटापा और दिल की बीमारियां बढ़ने के लिए पैकेज्ड फूड (packaged food) या प्रोसेस्ड फूड भी बहुत हद तक ज़िम्मेदार हैं. सर्वे के मुताबिक लोगों को ये च्वाइस मिलनी चाहिए कि वे जानकारी के आधार पर ये तय करें कि उन्हें सेहत से समझौता करके अपना फेवरेट चिप्स या केक खाना है या नहीं.  

हेल्थ स्टार रेटिंग का प्रस्ताव भी आया था

फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी आफ इंडिया यानी FSSAI पैकेज्ड फूड (warning sign on packaged food) के लिए हेल्थ स्टार रेटिंग का सिस्टम लाने का प्रस्ताव रख चुका है. ये रेटिंग एनर्जी, सैचुरेटिड फैट और सोडियम जैसी चीजों की मात्रा के आधार पर दी जा सकती है. आसान भाषा में इसका मतलब ये है कि तेज़ नमक, ज्यादा चीनी या वनस्पति घी या तेल की मात्रा ज्यादा होने पर उस पैकेट की रेटिंग कम हो जाएगी. हालांकि इस सिस्टम का काफी विरोध हुआ है. ज़ाहिर है स्वास्थ्य (Health News) से जुड़े इन फूड की खराब रेटिंग होने पर किसी प्रोडक्ट की सेल घट जाएगी. इसके अलावा कंपनियों को ये आशंका भी है कि ऐसे सिस्टम को इंडस्ट्री अपने प्रभाव के हिसाब से तोड़ मरोड़ सकती है.  

किसी भी सिस्टम पर अभी तक सहमति नहीं

अच्छे खाने पर पांच सितारा रेटिंग और सेहत के हिसाब से खराब खाने को एक स्टार देने वाले सिस्टम का विरोध होने के बाद FSSAI ने पैकेट के फ्रंट पर वॉर्निंग साइन वाला सिस्टम लाने की बात की. हालांकि 2013 से लेकर 2021 तक कई ड्राफ्ट बने और रद्द हुए हैं. पैकेट पर न तो अभी ज्यादा तेल, नमक या चीनी की वार्निंग है और ना ही सितारों के हिसाब से रेटिंग. हालांकि अभी तक किसी भी सिस्टम पर सहमति नहीं बन सकी है और भारत में बिक रहे फूड प्रोडक्ट्स (warning sign on packaged food) पर पीछे की तरफ न्यूट्रीशन इंफॉरमेशन ही दी जाती है. जो अक्सर आम आदमी की समझ से परे होती है.  

सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट एनजीओ के मुताबिक स्टार रेटिंग सिस्टम आम तौर पर इंडस्ट्री के हिसाब से तोड़ा मरोड़ा जाता है. और ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड जैसे कुछेक देशों को छोड़कर इसे ज्यादातर देश नकार चुके हैं. कुछ लैटिन अमेरिकी देश, कनाडा और इज़रायल में पैकेज्ड फूड पर वॉनिंग लेबल का इस्तेमाल किया जाता है. जो ज्यादा असरदार पाया गया है.

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें

खाने की आदत लगवाती हैं कंपनियां

आमतौर पर आपको किसी खाने की आदत लगवाने के लिए कंपनियां उसमें नमक की मात्रा ज्यादा कर देती हैं या चीनी की मात्रा ज़रुरत से ज्यादा कर देती है. एक पैकेट चिप्स में इतना नमक हो सकता है कि आपकी दिन भर की ज़रुरत केवल एक पैकेट से पूरी हो जाए लेकिन आप स्वाद के चक्कर में पूरा पैकेट खा जाते हैं और आपको एहसास भी नहीं होता कि आप कितना नमक खा गए. लेकिन अब भारत में नमक स्वादानुसार नहीं, स्वास्थ्य (Health News) अनुसार होने की मांग जोर पकड़ रही है.