वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) पूरी तरह सरकारी कंपनी बनेगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जीएसटीएन में सरकार की हिस्सेदारी बढ़ाकर 100 फीसदी करने को मंजूरी प्रदान की. आधिकारिक बयान के अनुसार, वर्तमान में जीएसटीएन में सरकार की 49 फीसदी हिस्सेदारी है, लेकिन अब जीएसटीएन में गैर-सरकारी संस्थानों की 51 फीसदी हिस्सेदारी भी सरकार के पास आ जाएगी. जीएसटीएन में केंद्र और राज्य सरकारों की बराबर की हिस्सेदारी होगी. 

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वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि मंत्रिमंडल ने जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) को 100 प्रतिशत सरकारी कंपनी में परिवर्तित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. जीएसटीएन नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के लिये आईटी बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराता है. इसमें केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी बराबर होगी. राज्यों की हिस्सेदारी आनुपातिक आधार पर राज्यों की होगी.

सरकार ने जीएसटीएन के मौजूदा बोर्ड में भी परितर्वन करने का फैसला किया, जिसके अनुसार अब इसमें अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) समेत 11 निदेशक होंगे. केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से क्रमश: तीन-तीन निदेशक मनोनीत होंगे, जबकि तीन स्वतंत्र निदेशक होंगे, जिनको बोर्ड नामित करेगा. जीएसटीएन निदेशक मंडल निजी कंपनियों के पास हिस्सेदारी के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करेगी.

फिलहाल जीएसटी नेटवर्क कंपनी में केंद्र तथा राज्यों की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है. यह कंपनी नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को आईटी ढांचा सुविधा उपलब्ध कराती है. शेष 51 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी क्षेत्र के पांच वित्तीय संस्थान एचडीएफसी लि., एचडीएफसी बैंक लि., आईसीआईसीआई बैंक लि., नेशनल स्टाक एक्सचेंज रणनीतिक निवेश कंपनी तथा एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के पास है.

एनडीए सरकार ने जीएसटीएन का गठन 28 मार्च, 2013 को एक निजी लिमिटेड कंपनी के रूप में किया था. इसे नए कंपनी कानून की धारा आठ के तहत मुनाफे के लिए काम नहीं करने वाली कंपनी के तौर पर गठित किया गया है.