रिपोर्ट : प्रकाश प्रियदर्शी

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केंद्र सरकार 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले छोटे व्‍यापारियों को बड़ी राहत दे सकती है. डिजिटल इंडिया अभियान को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल ट्रांजेक्‍शन चार्ज को खत्‍म कर सकती है. यह वह चार्ज है जो व्‍यापारियों को मंथली देना पड़ता है. औसतन एक पीओएस (POS) मशीन पर 600 से 1200 रुपए महीने का चार्ज लगता है. जी बिजनेस को मिली एक्‍सक्‍लूसिव जानकारी के मुताबिक इसके लिए सरकार की योजना एक फंड क्रिएट करने की है, जिसके जरिए बैंकों को डिजिटल चार्ज का भुगतान होगा. 

नोटबंदी के समय हटाया गया था शुल्‍क

नोटबंदी के दौरान डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पीओएस (प्वाइंट आफ सेल) मशीनों के विनिर्माण के सामानों पर उत्पाद शुल्क हटा लिया था. उस समय इन मशीनों की मांग अचानक बढ़ गई थी. नोटबंदी के बाद व्यापारी इसका उपयोग करने लगे हैं. पीओएस मशीनों के विनिर्माण को 12.5 प्रतिशत उत्पाद शुल्क और 4.0 प्रतिशत विशेष अतिरिक्त शुल्क (एसएडी) से छूट दी गई थी. हालांकि सरकार ने यह छूट 31 मार्च 2017 तक ही दी थी.

वित्‍त मंत्री ने संसद में की थी घोषणा

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में नोटबंदी के मुद्दे पर हंगामे के बीच पीओएस मशीनों पर उत्पाद शुल्क की दरों में संशोधन संबंधी एक अधिसूचना सदन में पेश की थी. इस अधिसूचना में पीओएस उपकरणों के विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाले सभी सामानों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क और एसएडी में छूट देने की बात थी. 

 

क्‍या होती है पीओएस मशीन

पीओएस (POS) मशीन हैंड हेल्‍ड डिवाइस है. इसे आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है. व्यापारी बिक्री स्थल पर ग्राहक से क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिये खरीदे गए सामान का भुगतान प्राप्त करने के लिए इस मशीन का उपयोग करते हैं.