बीते सालों से आप रसोई गैस जो खरीदते हैं उसमें गैस सिलेंडर पर सब्सिडी सरकार की तरफ से आपके बैंक अकाउंट में मिलती है. लेकिन अब सरकार फिर से पुराने नियम वापस लाने की तैयारी में है जिसमें सब्सिडी सिस्टम का चक्कर ही खत्म हो जाएगा और आप गैस सिलेंडर के लिए उतना ही भुगतान करेंगे जितनी सिलेंडर की वास्तविक कीमत है. इससे आपको अब यह चिंता नहीं रहेगी कि अकाउंट में सब्सिडी आई कि नहीं या इसमें देरी हो रही है. वर्ष 2013-14 से पहले यही नियम लागू था.

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उपभोक्ता और सरकार दोनों को फायदा

सरकार की इस पहल से न सिर्फ सिलेंडर की कीमत घटने के रूप में उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि सरकार को भी अगले साल होने वाले चुनाव में इस कदम का फायदा मिलेगा. देश में करीब 24 करोड़ से भी ज्यादा परिवार वर्तमान समय में रसोई गैस सिलेंडर का इस्तेमाल कर रहे हैं. उम्मीद है अगले 12-18 महीने में यह संख्या 36 करोड़ पर पहुंच जाएगी. डेक्कन हेराल्ड की खबर के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि पेट्रोलियम मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर पुराने नियम को दोबारा लागू करने के ऐसे तरीकों पर मंथन कर रहा है,ताकि ग्राहकों को कोई परेशानी न हो.

गांवों में महंगे सिलेंडर से कर रहे किनारा

रसोई गैस के लाभार्थियों की संख्या ग्रामीण क्षेत्र और अर्द्ध शहरी इलाकों में सबसे ज्यादा है. यह एक बड़े वोट बैंक के रूप में हैं. लेकिन पिछले कई महीनों से एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमत में ऊंचे आयात शुल्क की वजह से तेजी से बढ़ी है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में महंगे सिलेंडर की वजह से लोग वापस परंपरागत विकल्प (कंडे और लकड़ियां) की तरफ रुझान कर रहे हैं. सरकार को इस तरह की शिकायत ग्रामीण क्षेत्रों से मिली है.

प्रति व्यक्ति गैस खपत में कमी

जून-जुलाई के आधिकारिक एलपीजी गैस खपत के आंकड़ों के मुताबिक प्रति व्यक्ति गैस खपत में एलपीजी कनेक्शन में वृद्धि दर के मुकाबले कमी आई है. एलपीजी ग्राहकों को अभी बाजार दर पर सिलेंडर खरीदना होता है. सरकार साल में 12 सिलेंडर (14.2 किलोग्राम) सब्सिडी दर पर उपलब्ध कराती है. सब्सिडी की रकम ग्राहक के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर होता है. दिल्ली में पिछले माह तक एलपीजी सिलेंडर की कीमत 900 रुपये से अधिक थी.