बढ़ते प्रदूषण और ट्रैफिक जाम से निजात पाने के लिए केंद्र सरकार भविष्‍य की टेक्नोलॉजी पर ध्‍यान केंद्रित कर रही है. इसके लिए सरकार रोपवे, केबल कार और फनीकुलर रेलवे (बिजली के तारों पर चलने वाली रेल) को बढ़ावा देगी. इसके लिए केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडगरी की उपस्थिति में भारत की इंजीनियरिंग कंपनी वैपकॉस और ऑस्ट्रिया की डॉपेलमेर के बीच समझौता हुआ है. गडकरी ने कहा कि देश को परिवहन क्षेत्र के विकास के लिए भविष्‍य की टेक्‍नोलॉजी की जरूरत है.

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गडकरी ने शहरों में भीड़भाड़ में कमी लाने तथा प्रदूषण में कटौती की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने प्रदूषण मुक्त तथा लागत प्रभावी परिवहन इनोवंशंस को प्रोत्साहित करने के सरकार के संकल्प को दोहराया और कहा कि रोपवे, केबल कार, फनीकुलर रेलवे (बिजली के तारों पर चलने वाली रेल) पर्वतीय और कठिनाई वाले क्षेत्रों के लिए तथा भीड़भाड़ वाले शहरों में अंतिम संपर्क विकल्प के रुप में परिवहन के उपयोगी साधन हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि टियर-2 शहरों के लिए भी यह परिवहन विकल्प उपयोगी होंगे. उन्होंने आशा व्यक्त की कि ये परिवहन विकल्प लोगों को निजी से सार्वजनिक परिवहन की ओर जाने के लिए प्रेरित करेंगे.

गडकरी ने बताया कि केबल कार तथा रोपवे परियोजना बोलिबिया, वियतनाम, स्वीट्जरलैंड तथा अन्य देशों में सफल साबित हुई हैं. उन्होंने कहा कि सरकार हाइब्रिड एयरोबोट जैसे वाहनों के उपयोग की संभावना तलाश रही है हाइब्रिड एयरोबोट में जमीन, जल और वायु टेक्नोलॉजी है और जमीन, जल और आसमान में 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की अधिक गति से चल सकती है. उन्होंने बताया कि परिवहन के लिए गंगा सहित 10 राष्ट्रीय जलमार्ग विकसित किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि शीघ्र ही वाराणसी से बांग्लादेश तथा देश के पूर्वोत्तर राज्यों में जल मार्ग से समान भेजे जा सकते हैं.

भारत सरकार की अग्रणी इंजिनियरिग कंसलटेंसी संगठन वैपकोस (Wapcos) 45 देशों से अधिक देशों में परियोजनाओं के साथ भारतीय बहुराष्ट्रीय संगठन हो गया है. ऑस्ट्रिया की डॉपेलमेर विश्व की सबसे बड़ी रोपवे निर्माता कंपनी है और इसके पास अत्याधुनिक रोपवे टेक्नोलॉजी है. इसने विश्व में 15,000 से अधिक रोपवे लगाए हैं.