कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी की रोकथाम के लिए देशभर में लागू पाबंदी या लॉकडाउन (Lockdown) के बाद भी लोकल खुदरा बाजार में फरवरी से जून, 2020 के दौरान रसोई की वस्तुओं के दाम में कोई खास घट-बढ़ नहीं दिखी. लेकिन एक साल पहले की तुलना में अगर दालों (Pulses) के भाव की बात करें तो इसमें तेजी आई है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, लॉकडाउन के चलते डाटा जमा करने की मुश्किलों के कारण सरकार इस दौरान खुदरा मूल्य सूचकांक के पूरे आंकड़े जारी नहीं कर सकी है.

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दिल्ली में परचून की सामान्य दुकान से राशन की खरीदारी के मुताबिक मई, जून में उड़द छिल्का, मसूर और अरहर जैसी दालों के दाम एक साल पहले के मुकाबले 30 प्रतिशत तक बढ़ गए. आटा और चावल के दाम में एक साल पहले से छह प्रतिशत तक बढ़ोतरी दर्ज की गई. हालांकि, इस साल फरवरी से जून के बीच एक आध दाल को छोड़कर खाने-पीने की अन्य जिंसों के खुदरा भाव में ज्यादा घटबढ़ नहीं दिखी.

वहीं, मई- जून 2019 के मुकाबले मई- जून 2020 में खुली उड़द छिल्का का दाम सबसे ज्यादा 31.25 प्रतिशत बढ़कर 100-105 रुपये किलो, दाल मल्का- मसूर 25 प्रतिशत बढ़कर 75 रुपये किलो हो गई. इस दौरान चना दाल तीन प्रतिशत से ज्यादा घटकर 62 रुपये किलो के आसपास रह गई. आटा, चावल में दो से लेकर 6 प्रतिशत तक वृद्धि हुई. हल्दी मिर्च, धनिया के दाम में क्वालिटी के मुताबिक सीमित घटबढ़ ही रही. चायपत्ती पांच प्रतिशत महंगी हुई है. चीनी खुली का दाम पिछले कुछ साल से 35- 36 रुपये किलो के दायरे में ही चल रहा है.

सरकार की तरफ से केवल खाद्य समूह की वस्तुओं की कीमतों के आधार पर जारी मई महीने के अखिल भारतीय उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई ग्रामीण क्षेत्र में 9.69 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 8.36 प्रतिशत रही. कुल मिलाकर खाद्य समूह की खुदरा महंगाई दर 9.28 प्रतिशत रही. इसी प्रकार थोक मूल्य सूचकांक में अप्रैल के समग्र आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं जबकि मई में थोक मूल्य सूचकांक सालाना आधार पर 3.21 प्रतिशत घटा है.

इस वर्ष स्थानीय खुदरा बाजार में फरवरी से जून की पांच माह की अवधि में पैकिंग वाला दस किलो आटा 330 से 340 रुपये हो गया वहीं उड़द छिल्का 100-105 रुपये, अरहर दाल 95 रुपये, मूंग साबूत 100 रुपये किलो पर टिकी रही लेकिन मल्का मसूर पांच- दस रुपये बढ़कर 75 रुपये किलो हो गई.

किराना व्यापारी बजरंग लाल गोयल का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान थोक मंडियों से माल लाना काफी परेशानी वाला काम रहा. मजदूर और माल वाहनों की कमी से भाड़ा बढ़ गया. वहीं रबी मौसम में चने की ताजा आवक होती है, इसलिये इसमें कुछ नरमी रहती है, जबकि उड़द, मूंग का मौसम खत्म होने की ओर रहता है इसलिये भाव ऊंचे रहते हैं. अरहर, मूंग और उड़द की फसल सर्दियों में आती है.

बाजार जानकारों के मुताबिक हाल के वर्षों में सरकार ने देश में दलहन खेती को बढ़ावा देने के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में काफी बढ़ोतरी की है, इसका भी दालों के दाम पर असर हो सकता है. वर्ष 2014-15 से 2019- 20 की यदि बात की जाए तो उड़द (साबूत) का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 31 प्रतिशत, अरहर (तूर) का एमएसपी 33 प्रतिशत बढ़ा है. वहीं मूंग के एमएसपी में इन पांच साल मं 53.26 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी हुई है.

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उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक आलोच्य एक साल की अवधि में सरसों तेल में हल्की बढ़ोतरी हुई है, इसकी एक लीटर वाली बोतल एक साल पहले के 110 रुपए से बढ़कर 122 रुपये हो गई है. तिल तेल 105 रुपये लीटर पर स्थिर रहा. धारा रिफाइंड 3.70 प्रतिशत बढ़कर 140 रुपये लीटर हो गया. पतंजलि का देसी घी एक साल में 15 प्रतिशत बढ़कर 550 रुपये किलो हो गया. कोरोना काल में सब्जियों के दाम अपेक्षाकृत सामान्य स्तर पर चल रहे हैं, लेकिन अब बरसात का मौसम शुरू होने के बाद आलू, टमाटर के दाम बढ़ने लगे हैं.