किसानों की आमदनी बढ़ाने में सबसे बड़ी अड़चन उनकी उपज का सही दाम नहीं मिलना है. लेकिन मोदी सरकार की किसानों की आमदनी दोगुनी करने की कोशिशें अब रंग लाने लगी हैं. आने वाले समय में किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए आढ़तियों के भरोसे नहीं रहना होगा, किसान खुद अपनी फसल बेच सकेंगे और कारोबार कर सकेंगे. निश्चित ही यह कदम 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने में मील का पत्थर साबित होगा.

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मोदी सरकार ने किसानों को मजबूत बनाने और उनकी आमदनी बढ़ाने के मकसद से 10,000 नए किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) बनाने के कार्यक्रम की भी शुरुआत की है. केंद्र सरकार ने अगले पांच साल में 10,000 नए एफपीओ बनाने का लक्ष्य रखा है. इस पूरे अभियान पर अगले पांच साल में 5,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. देश में छोटे जोत के आकार यानी कम जमीन वाले किसानों की आबादी अधिक है जो साधनहीन हैं लिहाजा सरकार ने उनको समूह में जोड़कर किसान उत्पादक संगठन बनाने का फैसला लिया है, ताकि फसलों के उत्पादन, प्रसंस्करण व व्यापार में किसानों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए.

चित्रकूट में शनिवार को प्रधानमंत्री ने 10,000 नए किसान उत्पादक संगठन बनाने का ऐलान करते हुए कहा कि किसान अब फसल भी बोएगा और कुशल व्यापारी की तरह मोलभाव करके अपनी उपज का सही दाम भी प्राप्त करेगा. 5 साल (2020-2024) में 10,000 एफपीओ गठित किए जाएंगे और इन एफपीओ से 30 लाख किसानों को फायदा मिलेगा.

छोटे और सीमांत किसानों की संख्या लगभग 86 प्रतिशत हैं, जिनके पास देश में 1.1 हेक्टेयर से कम औसत खेती है. इन छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों को कृषि उत्पादन के दौरान भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें प्रौद्योगिकी, बेहतर बीज, उर्वरक, कीटनाशक और समुचित वित्त की समस्याएं शामिल हैं. इन किसानों को अपनी आर्थिक कमजोरी के कारण अपने उत्पादों के विपणन की चुनौती का भी सामना करना पड़ता है.

एफपीओ से छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों के सामूहीकरण में सहायता होगी, ताकि इन मुद्दों से निपटने में किसानों की सामूहिक शक्ति बढ़ सकें. एफपीओ के सदस्य संगठन के तहत अपनी गतिविधियों का प्रबंधन कर सकेंगे, ताकि प्रौद्योगिकी, निवेश, वित्त और बाजार तक बेहतर पहुंच हो सके और उनकी आजीविका तेजी से बढ़ सके.

क्या है एफपीओ

एक किसान उत्पादक कंपनी (एफपीसी) एक संयुक्त स्टॉक कंपनी और एक सहकारी संघ के बीच का एक संगठन है. इसमें एक कंपनी और एक सहकारी संगठन दोनों के गुण हैं. कोई भी दस या अधिक व्यक्ति या कोई दो या अधिक उत्पादक संस्थाएं या कंपनियां मिलकर एक किसान उत्पादक कंपनी बना सकती हैं. एक प्राथमिक निर्माता को पशुपालन, रेशम उत्पादन, फूलों  की खेती, बागवानी आदि सहित किसानों की एक कृषि उपज के रूप में परिभाषित किया गया है.

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पंजीकरण पर, उत्पादक कंपनी, इस अंतर के साथ एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन जाएगी कि कोई दो व्यक्ति उन्हें पंजीकृत नहीं करा सकते हैं, न्यूनतम 5 लाख रुपए की अधिकृत चुकता पूंजी का प्रावधान है और सदस्यों की अधिकतम संख्या  50 पार कर सकती है.