केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने आज ज़ी न्यूज़ (Zee News) के एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी (Sudhir Chaudhary) के साथ एक विशेष इंटरव्यू में बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु और बिहार विधानसभा चुनाव और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चल रहे भारत-चीन गतिरोध सहित कई मुद्दों पर बात की. 

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सुधीर चौधरी: अमित जी आपका बहुत-बहुत स्वागत है. ज़ी मीडिया के दर्शकों की तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं और नवरात्रि की भी आपको बहुत-बहुत बधाई हम सब की तरफ से.

अमित शाह: मैं भी आपके माध्यम से देशभर के सभी लोगों को नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देना चाहता हूं और साथ में ये भी कहना चाहता हूं कि शक्ति का पर्व इस तरह से मनाएं जिससे कोरोना को परास्त करने की दिशा में हम और आगे बढ़ें, सावधानी जरूर रखें, मास्क पहनें, दो गज की दूरी को भी जहां तक हो सके बनाए रखें और स्वच्छता का भी हम आग्रह रखें, तो ये शक्ति का पर्व सभी के लिए शुभ हो और देश की प्रगति के लिए ये शक्ति पर्व से जो नया समय शुरू हुआ है वो देश को बहुत आगे ले जानेवाला हो. ऐसा मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूं.

1. सवाल: अमित जी, वैसे तो आप हमेशा चर्चा में रहते हैं अपने काम की वजह से, लेकिन इस साल आप अपने स्वास्थ्य की वजह से भी बहुत चर्चा में रहे और पूरे देश में आपके स्वास्थ्य को लेकर लोगों में चिंता भी थी. जो आपके शुभचिंतक थे वो चिंतित थे और जो आपके दुश्मन थे वो कुछ और सोच रहे थे, तो सबसे पहले पूरा देश ये जानना चाहता है आपके स्वास्थ्य के बारे में क्या अपडेट है? आप कैसे हैं?

जवाब: पहले मैं स्पष्टता कर दूं, मेरी दुश्मनी किसी से नहीं है मेरी ओर से, हां मगर हो सकता है मेरी विचारधारा और मेरी कार्य पद्धति के सामने कुछ लोगों को कुछ आपत्तियां हो सकती हैं. खैर मैं इसमें पड़ना नहीं चाहता, परन्तु मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं आपके सामने हूं और मुझे कोरोना हुआ था बाद में थोड़ी weakness थी और immunity level नहीं आया था इसलिए डॉक्टरों ने isolation में रहने के लिए सलाह दी. अब मैं पूर्णत: स्वस्थ हूं अच्छे से काम कर सकता हूं और आज आपके सामने उपस्थित भी हूं.

2. सवाल: क्योंकि पूरी दुनिया में ये अलग-अलग विचारधारा रहती है नेताओं में, बड़े नेता जो हैं ज्यादातर अपने स्वास्थ्य को लेकर secretive रहते हैं?

जवाब: मैं जरा भी secretive नहीं हूं मुझे कोरोना हुआ, 20 मिनट में मैंने tweet कर दिया था कि मैं कोरोनाग्रसित हूं. मेरे संपर्क में जो आए हैं वो अपना टेस्ट करवा लें, क्वारंटाइन कर लें ताकि बीमारी औरों को न लगे. इसमें secret रखनी जैसी कोई बात नहीं है. बीमारी किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकती है, किसी भी समय पर हो सकती है इसका इलाज कराना होता है.

3. सवाल: इस दौरान आपका जो public exposure है काफी कम हो गया? आप बहुत समय से दिखाई नहीं दिए. ऐसा लगता है कि जो बिहार का चुनाव होगा इस साल का पहला exposure लोगों को मिलने वाला है?

जवाब: जी, मैं 25 अक्टूबर के बाद जानेवाला हूं बिहार के चुनाव में.

4. सवाल: तो बिहार में मुझे याद है पिछली बार वर्ष 2015 में मैं आपके साथ गया था चुनाव प्रचार में, उस समय भी आपने कहा था कि बीजेपी बहुत अच्छी स्थिति में है. वर्ष 2015 से इस बार की स्थिति में आप क्या अंतर देखते हैं?

जवाब: देखिए वर्ष 2015 में भी हम अच्छी स्थिति में थे. हमारी स्थिति में सुधार ही हुई थी. Assembly में हमारी सीटें बढ़ी थीं, मत प्रतिशत भी बढ़ा था, मगर चूंकि सामाजिक समीकरण हमारे पक्ष में नहीं था इसलिए हम चुनाव हारे थे और ये वास्तविकता सबके सामने है कि जदयू-आरजेडी और बाकी जो मोर्चा बना था उसका सामाजिक समीकरण हमसे ज्यादा मजबूत था. मगर इस बार उल्टी चीज है इस बार सामाजिक समीकरण हमारे पक्ष में है, दूसरा नरेन्द्र मोदी जी के 5 साल समाप्त होने के बाद एक डेढ़ साल जो सफलतापूर्वक कोरोना का सामना किया है और विशेषकर देश के 60 करोड़ गरीबों की चिंता कोरोना के समय में हुई है जिस पर सबसे बड़ी आपत्ति थी क्योंकि रोज कमाकर रोज खानेवाला वर्ग तो गरीब वर्ग ही है. जिसको अगर लॉकडाउन हो जाता है, बंद हो जाता है, कल-कारखाने बंद होते हैं, ऑटो रिक्शा बंद होते हैं तो वो क्या खाएंगे. वो हरेक के घर में मार्च से लेकर छठ पूजा तक free of coast अनाज भारत सरकार की ओर से पहुंचाकर नरेन्द्र मोदी ने बड़ी सहायता की है. हर महिला के जनधन अकाउंट के अंदर पैसे भेजे, हर किसान के बैंक अकाउंट के अंदर 6 हजार रुपये भेजे, हर दिव्यांग के अकाउंट में भेजा, हर वृद्ध व्यक्ति को पैसा भेजा है. मेरा कहने का मतलब है कि चाहे लघु उद्योग हो, चाहे मध्यम उद्योग हो, चाहे बड़े उद्योग हो सबके लिए चिंता करनेवाला एक सर्वस्पर्शी पैकेज नरेन्द्र मोदी जी ने दिया है और बिहार जैसे प्रदेश में इसकी बहुत गहरा असर है. प्रो-भारतीय जनता पार्टी प्रो-एनडीए दिखाई देती है. बिहार सरकार ने भी बहुत अच्छा काम किया है. लगभग-लगभग जितने भी प्रवासी मजदूर आए उनके रहने की व्यवस्था की, खाने की व्यवस्था की, जाने के क्वारंटाइन पीरियड समाप्त होने के बाद एक हजार रुपये उनको मुआवजा दिया गया और आज बिहार का रिकवरी रेट 90% cross कर गया है, 94% के आसपास है. ये देश में सर्वाधिक रिकवरी रेट में से एक है. आप जानते हैं बिहार का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर स्वाभाविक रुप से बाकी राज्यों की तुलना में निर्बल माना जाता था, फिर भी 94% का रिकवरी रेट मैं मानता हूं नीतीश सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि है. तो मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार और नीतीश जी के नेतृत्व में एनडीए की बिहार सरकार, ये दोनों ने जो कोरोना में काम किया है मैं मानता हूं कि इस चुनाव में हमारी बहुत बड़ी जमा पूंजी है जिसका फायदा हमें होने जा रहा है और सामाजिक समीकरण हमारे पक्ष में है.

5. सवाल: आपको याद होगा जब ये कोविड-19 का सिलसिला शुरू हुआ था तो उस समय प्रवासी मजदूरों की बहुत बड़ी समस्या बन गई थी. मीडिया में भी बहुत उसका हाइप हुआ था और उस समय ऐसा लगता था कि जैसे स्थिति जो है कंट्रोल में नहीं है जिस तरीके से लोग बाहर निकल गए थे. आपको ऐसा लगता है कि उस स्थिति का, उन तस्वीरों का आपको लाभ होगा या नुकसान भी हो सकता है और ये पहला referendum है उस पर देश का क्योंकि ये पहला चुनाव है इस दौर में?

जवाब: इसमें कोई दो राय नहीं कि काफी कुछ लोग पैदल चले गए, धैर्य खो बैठे व्यवस्थाएं हो उसके पहले. मगर वास्तविकता एक ये भी है कि बिहार में 1500 से ज्यादा ट्रेनें गई हैं अलग-अलग राज्यों से और उनको सलामत रूप से अपने घर में पहुंचाया गया है. वास्तविकता ये भी है कि ढाई करोड़ ट्रेनों, बसों और अन्य सलामत मार्गों से घर पर पहुंचाए गए हैं, मगर एक साथ सबको ले जाने की व्यवस्था करना शायद संभव नहीं था और कुछ राज्यों में स्थिति भी ऐसी हुई, विशेषकर महाराष्ट्र में उनको रेलवे स्टेशन पर पहुंचाने की या उन तक संदेश पहुंचाने का communication gap भी रहा तो इसके कारण लोग अपने-अपने रास्ते से चल पड़ें. उसमें भी हमने बीच में से एसटी बसें महाराष्ट्र शासन ने भी किया, गुजरात शासन ने भी किया, रास्थान शासन ने भी किया, सब सरकारों ने, उत्तर प्रदेश शासन ने भी किया, बीच में बसें भेजकर उनको बसों में बैठाकर नजदीक के रेलवे स्टेशन पर पहुंचाने की भी व्यवस्था की, खानपान की भी व्यवस्था की, लेकिन ये बात सही है कि कुछ लोगों को तकलीफ पड़ी है. मगर वो लोग भी समझते हैं जब गांव में जाते हैं 50 लोग सलामत रूप से वापिस आए हैं और दो लोग पैदल चलकर वापस आए हैं. 

6. सवाल: पर उस समय आपको ऐसा लगा कि सरकार की तरफ से miss calculation था या मीडिया का over hipe था. विपक्षी दलों ने over hipe इस मुद्दे को कर दिया ?

जवाब: देखिए मैं मीमांसा में जाना नहीं चाहता, मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं ये जो हुआ कुछ communication gap और कुछ प्रवासी मजदूरों के धैर्य खोने के कारण हुआ है. खैर होना नहीं चाहिए था मगर एक साथ इतने लोग निकल गए तो उनको संभालते-संभालते, समझाते-समझाते उनको main stream जो व्यवस्था बनती उसमें लाते-लाते एक सप्ताह गया, तो लगभग एक सप्ताह आपाधापी का समय रहा था.

7. सवाल: अमित जी इस समय बिहार में बड़ा कंफ्यूजन है वो ये है चिराग पासवान को लेकर, एलजेपी को लेकर कि एलजेपी इस तरफ है कि उस तरफ है? ऐसा लगता है कि लोगों में भी कंफ्यूजन है और हो सकता है कि आपके जो कार्यकर्ता हैं उनके अंदर भी ये कंफ्यूजन हो? इस कंफ्यूजन को कैसे दूर करेंगे आप?

जवाब: अच्छा किया कि सुधीर जी आपने ये सवाल उखेड़ दिया, एलजेपी की ओर से मैं कुछ कह नहीं सकता क्योंकि एलजेपी पार्टी से मेरा उनकी ओर से बोलने का कोई अधिकार नहीं है, परन्तु एनडीए और भारतीय जनता पार्टी की ओर से मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि एलजेपी बिहार चुनाव में एनडीए का हिस्सा नहीं है. बिहार चुनाव में भारतीय जनता पार्टी, जदयू, हम पार्टी और वीआईपी पार्टी ये चार दल इकट्ठा होकर श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ रहे हैं और मोदी जी राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए का नेतृत्व कर रहे हैं ये वास्तविकता है, तो मैं अपील करना चाहूंगा

भारतीय जनता पार्टी, जदयू, हम पार्टी और वीआईपी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को एकमुश्त होकर ये चारों दलों के प्रत्याशी जहां पर भी चुनाव लड़ते हैं प्रचंड बहुमत के साथ उनको जीताने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाकर प्रयास करें. चुनाव में कई बार ऐसी चीजें कही जाती हैं जिससे कंफ्यूजन हो, मगर बिहार की जनता कि राजनीतिक परख बड़ी पैनी होती है. जो बिहार की राजनीति को जानते हैं उनको मालूम है सबसे ज्यादा देश में राजनीतिक रूप से जागरूक जो दो-तीन प्रदेश हैं उसमें से एक बिहार है. उनको मालूम है कौन कहां है. अखबार में फोटो लगाने से या पोस्टर में फोटो लगाने से कुछ नहीं होता. मोदी जी जाएंगे, मैं जाउंगा, हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जी जाकर स्पष्टता करके आएंगे. ये तो छिपी रहनेवाली बात नहीं है. ये तय है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में हम एनडीए की लड़ाई लड़ रहे हैं जिसमें एलजेपी कहीं पर भी नहीं है.

8. सवाल: चिराग पासवान का ये बयान कि मेरे दिल में मोदी जी ऐसे बसते हैं जैसे हनुमान जी के दिल में श्रीराम बसते थे और आप मेरा दिल चीरकर देख लीजिए तो मोदी जी की तस्वीर निकलेगी. आपको ऐसा लगता है ये कंफ्यूजन फैलाने के लिए बयान दिया है?

जवाब: नहीं ऐसा तो कई अपोजिशनवालों के मन में है It doesn't mean कि वो भारतीय जनता पार्टी में हैं, काफी लोगों के मन में है.

9. सवाल: आपको ऐसा लग रहा है कि चिराग पासवान थोड़े ज्यादा ambitious हो रहे हैं, महत्वाकांक्षी हो रहे हैं और इस वजह से, क्योंकि जब तक पासवान जी जीवित थे तब तक आपको इस तरह की कोई समस्या देखने को नहीं मिली थी?

जवाब: अब उनका अपना आकलन है. वो महत्वाकांक्षी हैं या नहीं है टिप्पणी करने का मुझे अधिकार नहीं है, मगर मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं कि हमारी ओर से एनडीए की ओर से भारतीय जनता पार्टी इनसे चर्चा कर रही थी, नड्डा जी चर्चा कर रहे थे, मैं भी कर रहा था. हम दोनों ने, हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय ने और मैंने पर्याप्त सीटें इनको ऑफर की थीं परन्तु वो नहीं मानें और अंततोगत्वा उन्होंने गठबंधन तोड़ दिया. जब गठबंधन तोड़ दिया तो आज वो हमारे गठबंधन में नहीं हैं जहां तक बिहार चुनाव का सवाल है.

10. सवाल: और केंद्र में वो गठबंधन में बने हुए हैं ये कंफ्यूजन इसलिए भी है?

जवाब:  अभी बिहार चुनाव का समय है उसके बाद जो स्थिति स्पष्ट होगी उस पर ज्यादा स्पष्टता होगी परन्तु मैं इनता स्पष्ट कर देता हूं कि बिहार के चुनाव में लोजपा, एनडीए का हिस्सा नहीं है. चार ही पार्टी हम पार्टी, जदयू, भाजपा और वीआईपी पार्टी ये चार ही पार्टी एनडीए का गठबंधन है.

11. सवाल: एलजेपी के लोगों का ये भी कहना है कि जो वीआईपी पार्टी है इसको आपने थोड़ा ज्यादा ही VIP Status दे दिया जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए था. जरूरत से बड़ा स्टेटस आपने दे दिया VIP को VVIP बना दिया आपने?

जवाब: चलिए अब ये उनका अभिप्राय है. हमारा तो आग्रह है अगर होता है तो भाजपा का और मोदी जी के नेतृत्व में हमेशा पिछड़ों को ज्यादा से ज्यादा, अतिपिछड़ों को ज्यादा से ज्यादा और जो वंचित हैं उनको ज्यादा से ज्यादा स्थान दिया जाए

12. सवाल: नीतीश कुमार जी को लेकर जब आप ग्राउंड पर जाते हैं, तो एक तो ये होता है कि अति उत्साह होता है, जोश होता है कि नेता कैसा हो, मुख्यमंत्री कैसा हो तो तुरंत दिल से आवाज़ निकलती है कि नीतीश कुमार जैसा हो लेकिन अगर हम ये ना भी कहें कि एंटी इनकंबेंसी है. पर इतना तो कह सकते हैं कि उत्साह उतना नहीं हैं उनको लेकर, आपको नुकसान होगा?

जवाब: मैं ऐसा नहीं मानता. बिहार की जनता कांग्रेस के अंतिम दस साल, लालू जी के 15 साल और नीतीश कुमार जी के 15 साल की तुलना ज़रूर करेगी. ये 25 साल, कांग्रेस के अंतिम दस साल अस्थिरता वाले, और 15 साल लालू प्रसाद यादव के जंगल राज वाले गए हैं, उसने बिहार को तहस-नहस कर दिया है, नरसंहार होना, कितनी फिरौतियां, कितने लोग पलायन कर जाना. इंडस्ट्री पलायन कर गई. व्यापार पलायन कर गया, प्रोफेशनल पलायन कर गए. शिक्षा का पूरा खाका. IAS-IPS बिहार से आते थे, पूरा शिक्षा का खाका तितर-बितर हो गया. शिक्षा के अंदर भ्रष्टाचार पहुंच गया. विकास दर की बात करें तो पहले लगभग 3 प्रतिशत विकास दर था, जब लालू जी ने छोड़ा. आज 11.6 प्रतिशत तक विकास दर को हमने पहुंचाया है. 23 हज़ार करोड़ का बजट था, उसको हमने लगभग-लगभग 2 लाख 11 हज़ार करोड़ तक पहुंचाया. 96 प्रतिशत सड़कें बना दी हैं.

पीने के पानी में सुधार किया है. गांव में बिजली पहुंचाने का काम शत-प्रतिशत समाप्त कर दिया गया है. तो नरेंद्र मोदी सरकार और नीतीश कुमार सरकार ने ये जो काम किये हैं, मैं मानता हूं कि बिहार की जनता इस काम को ढंग से देख रही है. उसके घर में बिजली आई है, उसके घर में शौचालय आया है, उसके घर में स्वास्थ्य का कार्ड पहुंचा है, जिससे 5 लाख तक का स्वास्थ्य लाभ वो करा सकता है. ग़रीब को घर मिला है. इतनी सारी चीज़ें हैं, नरेंद्र भाई ने सात करोड़ ग़रीबों के लिए की है और बिहार सरकार ने जिस प्रकार से क़ानून व्यवस्था पर नियंत्रण पाया है, यहां दिनदहाड़े डकैतियां, फिरौती

नरसंहार होते थे, उसकी जगह बच्चियां साइकिल लेकर दूसरे गांव में पढ़ने जाती हैं. नौवीं-दसवीं कक्षा की बच्चियां. ये स्थिति बिहार देख रहा है, ऐसा नहीं है कि नहीं देख रहा है और जब वोट डालने जाएंगे तो एक ओर तो कोरे वादे हैं, दूसरी ओर मज़बूत काम है, और आगे की ठोस रणनीति है तो मुझे लगता है कि एनडीए के किये गये काम और आगे की ठोस रणनीति को बिहार की जनता पसंद करेगी. निश्चित रूप से बहुत अच्छे बहुमत के साथ हम ये चुनाव जीतेंगे.

13. सवाल: इस बार लालू यादव प्रचार नहीं कर पाएंगे, क्योंकि वो जेल में हैं और बिहार में ये कहावत शुरू से रही है कि समोसे में आलू चल सकता है, लेकिन लालू के बिना बिहार नहीं चल सकता. तो इसका कुछ लाभ मिलेगा आपको? क्योंकि उनका परिवार तो है अभी, वो चुनाव लड़ रहा है लेकिन वो पीछे से कंट्रोल कर रहे होंगे?

जवाब: देखिए, लाभ-हानि क्या होगी वो तो भगवान जाने, चुनाव के बाद ही आकलन कर सकते हैं परंतु जो भी स्थिति है इसके लिए हम ज़िम्मेदार नहीं हैं. अगर चारा घोटाला ना होता तो श्रीमान लालू आज भी चुनाव मैदान में होते. चूंकि, उन्होंने चारा घोटाला किया, ग़रीबों के पैसे खाए, अरबों-खरबों रुपयों में खाए गए, तो कभी ना कभी तो ये होना ही था.

14. सवाल: पर उन्होंने जो सत्ता का ट्रांसफर किया है, अपने परिवार को, बच्चों को, उनके जो पुत्र हैं, वो चुनाव में हैं, तो आपको लगता है कि बिहार की जनता उन्हें स्वीकार करेगी?

जवाब: देखिए, इसके लिए तो बड़ा रोष है, यहां तक कि यदुवंशियों में भी रोष है. कई जगह से आवाज़ें उठने लगी हैं कि ये परिवारवाद की राजनीति कब तक चलाएंगे? पर आप पूरे देश को देखिए हर जगह देश में धीरे-धीरे परिवारवाद को रिजेक्ट किया जा रहा है. मोदी जी की भारतीय राजनीति में सबसे बड़ी उपलब्धि तो ये है कि उन्होंने परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण इन तीनों को समाप्त किया है, और विकास के एजेंडे को स्थापित किया है. मैं मानता हूं कि विकास का चुनाव भी विकास के एजेंडे पर ही लड़ा जाएगा.

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15. सवाल: जब आप अध्यक्ष थे तब भी बीजेपी बिहार जीत नहीं पाई, अब एक बार और मौक़ा मिला है लेकिन अभी जो नीतीश कुमार जी के साथ आपका इक्वेशन है उससे लगता है कि बीजेपी जो है, वो जूनियर पार्टी की तरह लड़ रही है क्योंकि कहा जा रहा है कि उनकी कम सीटें भी आईं, तो भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे क्या अब हम ये मान लें कि बीजेपी ने स्वीकार कर लिया है कि बीजेपी जूनियर पार्टनर है वहां?

जवाब: देखिए, कम-ज़्यादा का सवाल नहीं है. एनडीए लड़ रहा है. हम दो-तिहाई से ज़्यादा बहुमत से जीतेंगे और नीतीश कुमार हमारे मुख्यमंत्री होंगे.

नीतीश कुमार ने 15 साल में बहुत ही अच्छा काम किया है और मोदी जी की सरकार ने जो योजनाएं भेजीं हैं, खासकर नरेंद्र मोदी जी ने जो एक लाख 25 हज़ार करोड़ का पैकेज बिहार के लिए दिया, चाहे वो गंगा पर बड़े-बड़े पुल बनाने हों, चाहे खाद के कारखाने बनाने हों, चाहे बिजली को गांव तक पहुंचाना हो, चाहे सिंचाई की व्यवस्था करनी हो, चाहे स्वास्थ्य का इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाना हो, चाहे पेट्रोलियम रिफाइनरी डालना हो, इन सारी चीज़ों में वो लॉजिकल एंड तक ले गए हैं. और ये बिहार की जनता ने अच्छे से देखा है. तो मुझे नहीं लगता है कि बिहार की जनता कन्फ्यूज़ होगी. हम सब मिलकर एकजुट होकर चुनाव लड़ रहे हैं, और नतीजे अच्छे आने वाले हैं.

16. सवाल: मैं वापस एलजेपी पर आता हूं. बिहार चुनाव के बाद पासवान जी केंद्र सरकार में मंत्री थे, क्या आपको ऐसा लगता है कि उनके कोटे से एलजेपी का एक और मंत्री आएगा चिराग पासवान को आप बनाएंगे, या नहीं बनाएंगे?

जवाब: देखिए ये मैं अकेला निर्णय नहीं कर सकता क्योंकि अभी उन्होंने बिहार चुनाव में छोड़ा है. तो सभी लोग साथ में बैठेंगे, सभी दल साथ में बैठेंगे. भाजपा की टीम भी बैठेगी और जो उचित निर्णय होगा, वो लिया जाएगा.

17. सवाल: कोविड-19 के बाद से ये पहला चुनाव है देश में, क्या अंतर आपको लगता है कि इस कोविड काल में इस चुनाव में और बाक़ी के चुनाव में कितना अंतर रहेगा और क्या आपने कोई नए तरीके से तैयारी की है चुनाव की?

जवाब: देखिए, सभी दलों को ये तैयारी करनी पड़ेगी. ज़्यादा भीड़ तो इकट्ठा कर नहीं सकते हो आप. वर्चुअल रैली पर ज़ोर रहेगा. मीडिया के माध्यम से पहुंचने पर ज़ोर रहेगा. वर्चुअल रैली के माध्यम से 50-100 लोग नेता को सुनें, इस प्रकार से नेटवर्क खड़ा करना, नेटवर्क को सफलतापूर्वक चलाना, और उसको परिवर्तित करके बूथ तक ले जाना ये नये प्रकार का प्रयोग कोविड के कारण भारतीय लोकतंत्र के अंदर करने की सबको ज़रूरत है. लेकिन मैं मानता हूं कि इसमें से भी कुछ अच्छा निकलेगा, चुनाव का ख़र्च हमेशा के लिए हो सकता है कि कम हो जाए, हो सकता है कि चुनाव के अंदर जो वर्चुअल रैली की जो परंपरा होती है, वो कोविड के बाद भी चालू रहे, लोगों का समय भी बचेगा. मतदाताओं का भी समय बचेगा, नेताओं का भी समय बचेगा, कार्यकर्ताओं का भी समय बचेगा. और लोग अपने नेताओं की बात, प्रतिस्पर्धियों की बात सुनकर उचित निर्णय ले पाएंगे

18. सवाल: क्योंकि बीजेपी एक ऐसी पार्टी रही है जिसने शुरू से आईटी पर बहुत ज़ोर दिया है, एक तो आपका ये एडवांटेज हो सकता है, दूसरा ये है कि आप रणनीतिकार हैं लेकिन साथ में आपने कोविड-19 में भी बहुत काम किया है. तो आपका जो अपना अनुभव है, जो आपने दिल्ली में गृहमंत्री रहते हुए काम किया कोविड-19 में, उसका भी कुछ लाभ मिला चुनाव कैंपेन बिहार में ड्राफ्ट करने में.

जवाब: नहीं देखिए हमारी IT सेल ने बहुत मेहनत की है लगभग तीन महीने पहले से हमने वर्चुअल रैली को देशभर में ना केवल बिहार में एक experiment किया था. मैंने ही बिहार में virtual रैली की थी, कोलकाता बंगाल में भी की थी. बड़ी सफल रैलियां हुईं, ओडिशा, केरल सब जगह अलग-अलग नेताओं ने रैली की थी. हमारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने जिला स्तर पर वर्चुअल मीटिंग की, मोदी जी ने भी लगभग-लगभग हर संसदीय क्षेत्र में वर्चुअल मीटिंग कार्यकर्ताओं की की है तो एक पूरा तंत्र भारतीय जनता पार्टी का वर्चुअल प्रचार का तीन महीने पहले से बना हुआ है. इसका फायदा बीजेपी को निश्चित मिलेगा, भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा तो स्वाभाविक रुप से एनडीए को भी मिलेगा, नीतीश जी को भी मिलेगा क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर तो कॉमन ही होता है सवाल नेता को आकर बोलना होता है तो इन सब चीजों से फायदा होगा मुझे, ऐसा मुझे तो अभी दिखता है. चुनाव अभी-अभी शुरू हुआ है, थोड़ी गरमी पकड़ रहा है और 26 अक्टूबर तक प्रथम चरण का प्रचार जब समाप्त होगा, 23 तारीख को मोदी जी जा रहे हैं बिहार में तीन रैलियां हैं. मुझे लगता है और भारतीय जनता पार्टी  और एनडीए के लिए बड़ी wave की वहीं से धक्का मिलेगा हमें, फायदा भी होगा.

19. सवाल: सामाजिक संतुलन के लिए आप नीतीश कुमार जी के कंधों पर डिपेंड कर रहे हैं और नीतीश कुमार जी मोदी जी के कंधों पर डिपेंड कर रहे हैं तो कौन किसके कंधे पर है?

जवाब: इसमें इस प्रकार के equation बैठाने का सवाल, जब साथी होते हैं तो सब बराबर होते हैं. मोदी जी राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व कर रहे हैं, नीतीश जी बिहार के स्तर पर नेतृत्व कर रहे हैं मगर हम सब साथी हैं और साथ में चल रहे हैं. इसमें कोई छोटा या बड़ा ऐसा कोई भाव रखने की कोई जरूरत नहीं है, रखना भी नहीं चाहिए.