कोरोना वायरस महामारी (Corona virus epidemic) कोविड-19 (COVID-19) पर लगाम लगाने के लिए देशभर में लॉकडाउन (Lockdown) किया गया है. सरकार की ओर से इस लॉकडाउन में कुछ राहत  दिए जाने के बाद कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) ने अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को एक बार फिर से पूरी तरह से शुरू करने का ऐलान किया है. दरअसल सरकार ने लॉकडाउन के दौरान कोविड-19 के इलाज से जुड़ी सेवाएं देने वाले अस्पतालाओं को ही पूरी क्षमता के साथ कम करने की ही अनुमति थी.  कामगारों (workers) और उनके  नियोक्ताओं (Employers) को राहत देने के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) ने कई कदम उठाए हैं. ईएसआईसी की ओर से इस मुश्किल समय में उठाए गए ये कदम कर्मचारियों को काफी राहत पहुंचाएंगे.

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कर्मचारियों को मिलती रहेगी मेडिकल सुविधा

ESIC ने ऐलान किया है कि लॉकडाउन के चलते जो भी कंपनियां कर्मचाारियों का वार्षिक एकमुश्त अंशदान जमा नहीं कर पाई हैं और कर्मचारियों का मेडिकल कार्ड जिसके जरिए उन्हें मेडिकल सेवाएं मिलती हैं वो एक्सपायर हो गया है उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है.  ESIC ने कर्मचाारियों का वार्षिक एकमुश्त अंशदान जमा न होने के बावजूद 30 जून 2020 तक कर्मचारियों को सभी मेडिकल सेवाएं उपलब्ध कराने का ऐलान किया है.

कई अस्पतालों से किया टाईअप

जिन  ESIC अस्पतालों को COVID-19 अस्पताल में बदल दिया है वहां इलाज कराने जाने वाले कर्मचारियों को चिंता करने की जरूरत नहीं है.  नियमित तौर पर इन अस्पताल में इलाज कराने वाले कर्मचारियों को मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ESIC ने कई अस्पतालों से टाईअप किया है.  इन अस्पतालों में भी कर्मचारियों को आसानी से इलाज मिल सकेगा.  

प्राइवेट अस्पताल से खरीद सकेंगे दवा

ESIC ने कर्मचारियों या अन्य लाभार्थियों को लॉकडाउन के दौरान प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदने की भी सुविधा प्रदान की है. कर्मचारी प्राइवेट दुकानों से दवा खरीदने के बाद बाद में ESIC से खर्च किए गए पैसे को क्लेम कर सकेंगे.  ऐसे में जिन कर्मचारियों की नियमित दवाएं चलती हैं और लॉकडाउन में वो अस्पताल नहीं जा पा रहे उन्हें काफी राहत मिलेगी.

 

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समय सीमा को बढ़ाया गया

कर्मचारी राज्य बीमा निगम ने कंपनियों या नियोक्ताओं को राहत देते हुए फरवरी और मार्च महीने का अंशदान जमा करने के लिए समय सीमा को 15 मई 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. देशभर में किए गए लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है.