राष्ट्रीय राजधानी में छाए हानिकारक धुंध (harmful smog) के मद्देनजर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने रविवार को कहा कि दिल्ली-एनसीआर  (Delhi-NCR) क्षेत्र में सांस संबधी बीमारियों (respiratory diseases) के रोगियों में वृद्धि देखने को मिल रही है. वायु प्रदूषण सांस संबंधी बीमारियों का एक महत्वपूर्ण कारण है, जिसमें उन लोगों को साइनसाइटिस (sinusitis), एलर्जिक राइनाइटिस (allergic rhinitis) ब्रोंकाइटिस (bronchitis) और सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है जो धूम्रपान नहीं करते हैं या प्री-अस्थमेटिक (pre-asthmatic) कंडीशन है.

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वायु प्रदूषण से बढ़ता है कोविड संक्रमण (Air pollution increasing covid infection) 

विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड संक्रमण को बदतर बनाने में वायु प्रदूषण  (air pollution)  भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल (Fortis Hospital, Gurugram)के न्यूरोलॉजी निदेशक और प्रमुख डॉ. प्रवीण गुप्ता (Dr. Praveen Gupta) ने आईएएनएस को बताया, "प्रदूषण को स्ट्रोक और हृदय रोग के प्रमुख कारण के रूप में पहचाना गया है, जो स्ट्रोक के जोखिम वाले कारकों या दिल की कोई बीमारी में 25 प्रतिशत तक जोखिम बढ़ाते हैं.

प्रदूषण से हो सकती हैं कई समस्याएं (Pollution can cause many problems)

उन्होंने कहा, "उच्च स्तर के वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से आंखों में जलन, गले में घरघराहट, खांसी, सांस लेने में समस्या हो सकती है. वायु प्रदूषण फेफड़ों और हृदय को भी प्रभावित कर सकता है. स्मॉग से आंखो में जलन, थकान, माइग्रेन, सिरदर्द, चिंता और अवसाद भी हो सकता है. गुप्ता ने कहा, "यह त्वचा को खराब भी कर सकता है, एलर्जी संबंधी विकार और बालों की समस्याएं पैदा कर सकता है. उन्होंने कहा कि पिछले हफ्तों में ओपीडी में सांस संबंधी बीमारियों के रोगियों में 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.

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बच्चों और बुजुर्गों की बढ़ेगी मुश्किल (Difficulties will increase for children and the elderly)

दिल्ली में एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल्स (HCMCT Manipal Hospitals) के एचओडी डॉ. पुनीत खन्ना ने कहा कि जैसे-जैसे सर्दी आती है, कम तापमान और हवा की धीमी गति से धुंध बढ़ जाती है. खन्ना ने बताया, "ग्राउंड-लेवल ओजोन ओ3 और पीएम 2.5 स्मॉग के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. औद्योगिक गतिविधियों और सार्वजनिक परिवहन के अलावा, सर्दियों में धुंध, पराली जलना और सड़क की धूल धुंध के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं. कमजोर समूह में नवजात और बच्चे (children) , गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग (elderly) और पहले से स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे लोग जैसे अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, मधुमेह, एनजाइना और हृदय संबंधी बीमारियों के मरीज शामिल हैं. डॉ. खन्ना के अनुसार, वायु प्रदूषण में थोड़ी सी भी वृद्धि से ओपीडी में भारी भीड़ होती है.