Delhi-Meerut Rapid Rail: भारत के सबसे पहले रीजनल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम (RRTS) का पहला ट्रेनसेट गुजरात के सावली में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) को सौंपा गया. गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में बटन के क्लिक के साथ ट्रेनसेट रोलआउट की प्रक्रिया शुरू हुई. इसके बाद एल्सटॉम के मैनेजिंग डायरेक्टर ने पहली आरआरटीएस ट्रेनसेट की चाबियां एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक को सौंपी गईं. इस रोलआउट के साथ ही, इन ट्रेनों का डिलिवरी की प्रक्रिया शुरू हो गई है. पहला ट्रेनसेट जल्द ही गाजियाबाद के दुहाई डिपो पहुंचेगा.

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नए दौर की ट्रांजिट प्रणाली

इस मौके पर आवासीय एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि नए दौर की यह ट्रांजिट प्रणाली तेजी से होते शहरीकरण का मैनेजमेंट करने में भी मददगार होगी. उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस परियोजना के पहले चरण की शुरुआत अपने निर्धारित समय पर हो जाएगी. एनसीआरटीसी के अधिकारियों ने कहा कि ये भारत की सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेनें होंगी और इन्हें इस तरह बनाया गया है कि इनकी अधिकतम गति 180 किलोमीटर प्रति घंटा, ऑपरेटिंग स्पीड  160 किमी प्रति घंटा और औसत गति 100 किमी प्रति घंटा रहेगी. बयान के मुताबिक, आरआरटीएस के तहत 17 किलोमीटर लंबा प्राथमिक खंड 2023 तक शुरू हो सकता है और पूरे गलियारे पर परिचालन 2025 तक शुरू होने की उम्मीद है.

इस साल शुरू होगा ट्रायल रन

ट्रेनसेट निर्माण के लिए एल्सटॉम को कॉन्ट्रै्क्ट दिया गया था, जिसके अनुसार वे आरआरटीएस के लिए 40 ट्रेनों की डिलीवरी करेंगे. जिनमें 10, तीन कोच वाली ट्रेनें मेरठ मेट्रो के लिए होंगी. कॉन्ट्रै्क्ट के मुताबिक एवस्टॉम 15 साल की अवधि के लिए इन रोलिंग स्टॉक का रख रखाव भी करेगी. अनुबंध में पूरे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर के लिए डिजाइनिंग, आपूर्ति, इन्स्टालिंग, परीक्षण और सिग्नलिंग शामिल है. इस रोलआउट के साथ इन सेमी-हाई-स्पीड एरोडायनामिक ट्रेनों की डिलिवरी शुरू हो गई है. एनसीआरटीसी इस साल दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के प्राथमिकता वाले सेक्शन पर ट्रायल रन शुरू करेगी.

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अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस

अपने स्लीक और आधुनिक डिजाइन के साथ ये ट्रेनसेट, रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से लैस हल्के वजन वाले होंगे. ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी), ऑटोमेटिक ट्रेन कंट्रोल (एटीसी) और ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन्स (एटीओ) के साथ संयोजित होंगे. रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम इन ट्रेनों की एक खास विशेषता है, जो ब्रेक लगाने पर बिजली पैदा करती है. वहीं यह बिजली ट्रेन सिस्टम के ओवरहेड ट्रैक्शन के माध्यम से वापस इलेक्ट्रिक ग्रिड में चली जाती है।

आरआरटीएस ट्रेनों में एर्गोनॉमिक रूप से डिज़ाइन की गई 2x2 ट्रान्सवर्स बैठने की सीट, खड़े होने के लिए चौड़ी जगह, लगेज रैक है. वहीं इसमें सीसीटीवी कैमरे, लैपटॉप/मोबाइल चार्जिंग सुविधा, डायनेमिक रूट मैप, ऑटो कंट्रोल एम्बिएंट लाइटिंग सिस्टम, हीटिंग वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग सिस्टम (HVAC) सहित दूसरी सुविधाएं भी हैं. एसी आरआरटीएस ट्रेनों में स्टैण्डर्ड क्लास और प्रीमियम वर्ग (प्रति ट्रेन एक कोच) के साथ-साथ एक कोच महिला यात्रियों के लिए आरक्षित होगा.

आरआरटीएस अपनी तरह की पहली प्रणाली है जिसमें 180 किमी प्रति घंटे की गति वाली ट्रेनें हर 5-10 मिनट में उपलब्ध होंगी. ये दिल्ली और मेरठ के बीच की दूरी 55 मिनट में तय करेंगी. एक बार शुरू होने के बाद, पहले आरआरटीएस कॉरिडोर से हर साल वाहनों से होने वाले उत्सर्जन में 2,50,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड कम होने का अनुमान है.