कोरोना की दूसरी लहर (COVID second wave) ने रियल एस्‍टेट सेक्‍टर (Real estate sector) को तगड़ा झटका दिया है. आने वाले दिनों में होम बॉयर (Home buyer) को प्रॉपर्टी खरीदने के लिए जेब ज्‍यादा ढीली करनी पड़ेगी. वहीं, अभी जो प्रोजेक्‍ट चल रहे हैं उनमें देरी होना निश्चित है. देश के बड़े डेवलपर्स के संगठन क्रेडाई (CREDAI) के एक सर्वे का कहना है कि प्रॉपर्टी की कीमतों में 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी होनी तय है. डेपलर्स का कहना है कि बॉयर खरीदारी के फैसले टाल रहे हैं. इसके अलावा, कर्ज मिलने में दिक्‍कतें हैं. पुराना कर्ज चुकाना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में क्रेडाई का कहना है कि सरकार को डिमांड बढ़ाने के लिए स्‍टॉप ड्यूटी में छूट समेत कई कदम उठाने चाहिए. 

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क्रेडाई के सर्वे के मुताबिक,  देश के 92 फीसदी डेवलपर्स मजदूरों की कमी से जूझ रहे हैं. 83 फीसदी डेवलपर्स 50 फीसदी से कम वर्कफोर्स के साथ काम कर रहे हैं. जबकि, सर्वे में शामिल 95 फीसदी बिल्डरों ने स्वीकारा कोविड की दूसरी लहर से प्रोजेक्ट डिले होंगे. 88 फीसदी बिल्डरों ने माना प्रॉपर्टी की कीमतों में 10 फीसदी तक इजाफा होगा. वहीं, 82 फीसदी बिल्डर्स ने कहा कि प्रोजेक्ट अप्रूवल्स तय समय में नहीं मिल रहे हैं. 77 फीसदी बिल्डर्स को लोन चुकाने में दिक्कतें हो रही हैं. बता दें, क्रेडाई ने रियल एस्टेट के ताजा हालातों पर 13 हजार से ज्यादा डेवलपर्स के बीच एक अंदरूनी सर्वे किया। 'क्रेडाई नेशनल रिसर्च' नाम के इस सर्वे में 4800 से ज्यादा डेवलपर्स ने रायशुमारी की.

घर खरीदारों का मोहभंग हुआ 

सर्वे में एक खास बात यह भी निकलकर आई है कि घर खरीदारों का मोहभंग हो रहा है. सर्वे में शामिल 98 फीसदी डेवलपर्स ने कहा घर खरीदारों का मोहभंग हुआ है. 42 फीसदी डेवलपर्स का कहना है कि ग्राहकों की तरफ से इन्‍क्‍वायरी 75 फीसदी कम हुई है. 95 फीसदी ग्राहकों ने घर खरीदने के फैसले को टाल दिया है. जबकि, 69 फीसदी डेवलपर्स ने कहा कर्ज मिलने में और ग्राहकों के होम लोन डिसबर्समेंट में दिक्कतें आ रही हैं. 90 फीसदी डेवलपर्स का मानना है कि कोविड की दूसरी लहर ने पहली लहर के मुकाबले ज्यादा नुकसान किया. क्रेडाई नेशनल रिसर्च' के नाम से डेवलपर्स से हालातों पर सर्वे जारी हुआ है. 24 मई 2021 से 3 जून 2021 के बीच स्टडी की गई. 

सरकार को उठाने होंगे कदम 

सर्वे में बिल्‍डर्स का मानना है कि रियल स्‍टेट में डिमांड बढ़ाने के लिए सरकार को कुछ कदम उठाने चाहिए. सर्वे में शामिल 78 फीसदी बिल्डर्स का कहना है कि स्टाम्प ड्यूटी छूट दी जाए. इससे मांग बढ़ाने में मदद मिली थी. 75  फीसदी डेवलपर्स मानत हैं कि GST में इनपुट टैक्स क्रेडिट से प्रोजेक्ट की फाइनेंशियल ट्रांसपरेंसी बढ़ेगी. 66 फीसदी का कहना है कि लोन रीस्ट्रक्चरिंग से फंड की कमी में सुधार होगा. प्रोजेक्ट की लागत में तेजी से बढ़ोतरी सबसे बड़ी दिक्कत है.  प्रोजेक्ट के सभी मंजूरियों के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस होना चाहिए. इससे प्रोजेक्‍ट तेजी से तैयार होंगे.  

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