Wheat Price Hike: खाने-पीने की चीजों की बढ़ती महंगाई के बीच गेहूं की कीमतों में आ रहा उछाल आने वाले महीनों में मुश्किलें बढ़ा सकता है. गेहूं की कीमतों में आ रही तेजी की एक बड़ी वजह रूस-यूक्रेन संकट के चलते ग्‍लोबल सप्‍लाई बाधित होना और इसके चलते भारत से एक्‍सपोर्ट डिमांड बढ़ना है. खरीदारी सीजन में किसान मंडियो में ज्‍यादा भाव के चलते MSP पर हो रही सरकारी खरीद से दूसरी बना रहे हें. गेहूं खरीद के शुरुआती 20 दिनों के आंकड़े की बात की जाए, तो गेहूं की सरकारी खरीद 27 फीसदी घटी है. इंडस्‍ट्री का कहना है कि गेहूं के दाम बढ़े (Wheat Price Hike) हैं. अभी लो डिमांड का सीजन है. इसलिए ज्‍यादा इम्‍पैक्‍ट नहीं दिख रहा है, लेकिन आगे एक से दो महीने में प्राइससिंग में चेंज आएगा. इसका असर ब्रेड, बिस्किट समेत अन्‍य प्रोडक्‍ट्स की कीमतों पर पड़ सकता है. 

क्‍यों बढ़ रहे हैं गेहूं के भाव?

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शिवाजी रोलर फ्लोर मिल्‍स के अजय गोयल ने जी बिजनेस को कहना है कि इस साल सरकारी खरीद कम रहने की उम्‍मीद है. मार्केट अनुमान लगा रहा है कि इस बार MSP पर 25-30 मिलियन टन हो जाए, तो सरकार के लिए गनीमत है. 

गोयल का कहना है कि इस बार पंजाब, हरियाणा के इलाकों में गेहूं की यील्‍ड में कमी आई है. एक्‍सपोर्ट शुरू हुआ है. किसानों को MSP से ज्‍यादा भाव मिल रहा है. एमएसपी पर लोग नहीं दे हैं. ऐसे में सरकार लक्ष्‍य का आधी ही खरीद बमुश्किल कर पाएगी. 15 जून तक सरकारी खरीद जारी रहेगी. 

जियो पॉलिटिकल टेंशन के चलते यूक्रेन-रूस से सप्‍लाई नहीं हो रही है. इसके चलते भारतीय एक्‍सपोर्ट की डिमांड बढ़ गई है. विदेशी बाजारों में भाव तेजी से बढ़ रहे हैं. इसका फायदा घरेलू किसानों को मिल रहा है. सरकारी खरीद की बात करें, तो 20 अप्रैल तक मध्‍य प्रदेश में 22 लाख टन, यूपी में 0.51 लाख टन, हरियाणा में 32 लाख टन और पंजाब में 55 लाख टन की खरीद हुई है.  

मंडियों में मिल रहा अच्‍छा भाव 

सरकार इस साल 444 लाख टन खरीद का लक्ष्‍य है. सरकारी खरीद 20 अप्रैल तक 110 लाख टन , पिछले साल इस दौरान 135 लाख टन की खरीद हुई थी. सरकार ने इस सीजन के लिए 2015 रुपये प्रति क्विंटल MSP तय किया है. मध्‍य प्रदेश में किसानों को 2020-2220 रुपये प्रति क्विंटल और उत्‍तर प्रदेश में 2020-2117 का भाव मंडियों में मिल रहा है. मंडियों में ITC समेत गेहूं के एक्‍सपोर्ट सक्रिय हैं. 

अजय गोयल का कहना है कि घरेलू बाजार में गेहूं के दाम बढ़े हैं. रिटेल में इसका असर होगा. अभी लो डिमांड का सीजन है. असली तेजी जून के बाद आएगी. एक्‍सपोर्ट का सिलसिला जारी रहा, तो फसल की आवक समाप्‍त होने और डिमांड आने पर भाव उछलेंगे. आगे आने वाले एक दो महीने में कीमतों में चेंज आएगा. भाव बढ़ने वाला है. 

 

गोयल का कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी का असर फूड प्रोसेसिंग कंपनियों और वैल्‍यू एडेड प्रोडक्‍ट्स बनाने वालों पर होगा. उनके लिए महंगा हो सकता है. इसका सीधा असर ब्रेड और बिस्किट जैसी प्रोडक्‍ट्स की कीमतों पर होगा. 

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PDS और स्‍कीमों पर नहीं होगा असर

गोयल का कहना है कि आगे कीमतें बढ़ती हैं, तो सरकार के लिए टारगेट आडिंयस पर इसका असर नहीं होगा. सरकार के पास पर्याप्‍त बफर स्‍टॉक है. इसलिए वो सरकारी राशन दुकान या अन्‍य स्‍कीमों पर असर नहीं होगा. सरकार के पास अभी 1.90 करोड़ टन का बफर स्‍टॉक है. जबकि, मानकों के मुताबिक 74 करोड़ टन जरूरत है. सइसका मतलब कि सरकार के पास अभी पर्याप्‍त स्‍टॉक है. इसलिए पीडीएस या स्‍कीम में जाने के लिए कोई चिंता नहीं है. 

किसानों को मिल रहा अच्‍छा भाव

गोयल का कहना है कि किसानों को अच्‍छा भाव मिल रहा है. सीजन की शुरुआत में MSP से अच्‍छे भाव उन्‍हें अपनी फसल के मिल रहे हैं. मध्‍य प्रदेश, गुजरात राजस्‍थान के किसानों को MSP से 10 फीसदी ज्‍यादा भाव मिल रहा है. वहीं, पंजाब, हरियाणा में किसानों को 5 फीसदी ज्‍यादा मिल रहा है, पोर्ट से वे ज्‍यादा दूर हो जाते हैं.