Patented drugs: केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को कहा कि सरकार भारत में पेटेंट दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए एक नीति लाने पर विचार कर रही है. उन्होंने फार्मा और मेडिकल डिवाइस क्षेत्र के 7वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के मौके पर कहा कि देश पहले ही जेनेरिक दवाओं के लिए ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग सेंटर के रूप में स्थापित हो चुका है, लेकिन इससे आगे जाने और पेटेंट दवाओं के क्षेत्र में भी पैठ बनाने की जरूरत है.

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10,500 से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स 

जेनेरिक दवाएं वे हैं, जिनका पेटेंट खत्म हो चुका है और मूल कंपनी के अलावा दूसरी कंपनियों को भी उसके मैन्युफैक्चरिंग की अनुमति है. मांडविया ने कहा कि आज 3,500 से ज्यादा फार्मा कंपनियों और 10,500 से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के साथ भारत में जेनेरिक दवा बनाने वाली कंपनियों की संख्या सबसे ज्यादा है.

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उन्होंने कहा कि अमेरिका में खपत होने वाली चार गोलियों में से एक भारत में बनती है. ऐसे ही दुनिया में खपत होने वाली पांच गोलियों में एक भारत में बनती है. मांडविया ने कहा, ‘‘लेकिन, हम भारत में पेटेंट दवाओं के विनिर्माण को कैसे बढ़ावा दें? हम भारत में पेटेंट दवाओं के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक नीति लाने पर विचार कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि इस बारे में सरकार उद्योग के साथ चर्चा करेगी और विभिन्न मसलों पर उनकी राय ली जाएगी.