भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने विक्रम लैंडर की तलाश में अपनी पूरी ताकत लगा दी है. क्‍योंकि जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, विक्रम लैंडर की जिंदगी कम होती जा रही है. आपको बता दें कि चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) का अपने अहम साथी विक्रम लैंडर से 7 सितंबर को चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंडिंग के वक्‍त संपर्क टूट गया था. उस समय ISRO चीफ डॉ. के. सिवन ने कहा था कि विक्रम लैंडर को ढूंढ़ने के लिए एजेंसी 14 दिन तक प्रयास करेगी. यानि उसे तलाशने के लिए 21 सितंबर तक प्रयास होंगे.

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जांच करे इसरो

इस बीच यह भी खबर है कि ISRO विक्रम लैंडर के असफल होने के कारणों की जांच कर सकता है. स्पेस एजेंसी इस बात का पता लगाने का प्रयास करेगी कि ऐसा क्या गलत हुआ और क्या ऐसा मान लिया गया था कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर भेजा गया चंद्रयान-2 मिशन का लैंडर वहां उतर नहीं सका.

डेटा की जांच करनी होगी

इसरो के एक रिटायर साइंटिस्‍ट ने कहा कि इसरो को अपने डेटा से सभी पहलुओं की जांच करनी होगी. उन्हें इस बात का भी पता लगाना चाहिए कि ऐसा क्या हुआ था जो नहीं किया गया और उसके बिना ही परिणाम की कल्पना कर ली गई. उनके मुताबिक, इसरो को देखना है कि लॉन्च से पहले किसी भी सिमुलेशन को क्या अनदेखा किया गया या कोई और खामी हुई.

नासा भी करेगा मदद

ISRO अपने डीप स्पेस नेटवर्क (DSN) के साथ भारत के चंद्रमा लैंडर तक सिग्नल भेजने और संचार जोड़ने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है. विक्रम लैंडर से संपर्क करने के लिए अब नासा भी इसरो की मदद कर रही है. इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) विक्रम को रेडियो सिग्नल भेज रही है.

20-21 सितंबर तक होगी कोशिश

इसरो के अधिकारी के मुताबिक चंद्रमा के विक्रम के साथ संपर्क फिर से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं. यह प्रयास 20-21 सितंबर तक किए जाएंगे, जब सूरज की रोशनी उस क्षेत्र में होगी, जहां विक्रम उतरा है.

स्कॉट टायली ने की वकालत

खगोलविद स्कॉट टायली ने भी ट्वीट कर विक्रम लैंडर से संपर्क जुड़ने की प्रबल संभावना जताई है. टायली ने 2018 में अमेरिका के मौसम उपग्रह (वैदर सैटेलाइट) को ढूंढ निकाला था. यह इमेज सैटेलाइट नासा द्वारा 2000 में लॉन्च की गई थी, जिसके 5 साल बाद इससे संपर्क टूट गया था.