Nationwide strike on March 28-29: केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने सरकार की नीतियों के विरोध में 28 और 29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. श्रमिक संगठनों के बयान के मुताबिक, दो दिन की हड़ताल को लेकर विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में तैयारियों के सिलसिले में बैठक हुई. केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मंच ने इसे लेकर मंगलवार को दिल्ली में बैठक की. 

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बयान में कहा गया है कि एस्मा (हरियाणा और चंडीगढ़, क्रमशः) के खतरे के बावजूद रोडवेज, परिवहन और बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों ने हड़ताल में शामिल होने का निर्णय किया है. इसमें कहा गया है कि बैंक और बीमा समेत वित्तीय क्षेत्र भी हड़ताल में शामिल होंगे. वहीं कोयला, इस्पात, तेल, दूरसंचार, डाक, आयकर, तांबा, बैंक, बीमा समेत दूसरे क्षेत्रों को हड़ताल को लेकर नोटिस दिये गये हैं.

सरकार की नीतियों से नाराज

बयान के मुताबिक, बैठक में इस बात पर ध्यान दिया गया कि हाल ही में हुए राज्यों के चुनावों परिणामों के बाद कथित रूप से लोगों के हितों के खिलाफ नीतियों को लागू करना शुरू कर दिया है. कर्मचारी भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर को 8.5 प्रतिशत से घटाकर 8.1 प्रतिशत कर दिया गया है.

साथ ही पेट्रोल, डीजल, एलपीजी, सीएनजी आदि के दाम में में अचानक वृद्धि की गयी है. सार्वजनिक उपक्रमों की जमीन को बाजार पर चढ़ाने (मौद्रीकरण योजना) को लेकर कदम उठाये जा रहे हैं. बैठक में इन नीतियों की आलोचना की गयी. मीटिंग में संयुक्त किसान मोर्चा की घोषणा का स्वागत किया गया. उन्होंने 28-29 मार्च को ‘गांव बंद’ का आह्वान किया है.

बयान के अनुसार, बैठक में केंद्र सरकार की कथित श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ राज्यस्तरीय विभिन्न श्रमिक संगठनों से हड़ताल में शामिल होने की अपील की गयी है.

संगठनों ने यूनियन के सदस्यों को केंद्रीय श्रमिक संगठनों के फेसबुक पेज पर जोड़कर 24 मार्च को सार्वजनिक बैठक का भी निर्णय किया.

बैठक में ये संगठन हुए शामिल

संयुक्त मंच में इंटक (इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस), एटक (ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस), एचएमएस (हिंद मजदूर सभा), सीटू (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियनन्स), एआईयूटीयूसी (ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर) शामिल रहे है. वहीं टीयूसीसी (ट्रेड यूनियन कॉर्डिनेशन सेंटर), सेवा (सेल्फ एम्प्लॉयड वुमेन्स एसोसएिशन), एआईसीसीटीयू (ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियनन्स), एलपीएफ (लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन) और यूटीयूसी (यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस) ने भी इसमें शिरकत की.