Costly Medicine: महंगी दवाओं और महंगे इलाज से आम लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. दवाओं के मार्जिन को तर्कसंगत बनाने के लिए सरकार और फार्मा इंडस्ट्री की बड़ी बैठक खत्म हो चुकी है. ये बैठक करीब 3 घंटे चली थी और बैठक में दवा कंपनियां जरूरी दवाओं पर मार्जिन कैपिंग लागू करने के सरकार के प्रस्ताव पर सहमत हो गई हैं. बता दें कि चरणबद्ध तरीके से जरूरी दवाओं पर मार्जिन कैपिंग लागू होगी, लेकिन सरकार के साथ इस बैठक में इंडस्ट्री ने भी सरकार से कुछ मांगे रखी हैं.

सरकार के प्रस्ताव पर कंपनियां सहमत

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बता दें कि सरकार के मार्जिन कैपिंग प्रस्ताव पर दवा कंपनियों ने सहमति जताई है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चरणबद्ध तरीके से मार्जिन कैपिंग लागू होगी. इसके अलावा इंडस्ट्री ने One Molecule, One price की मांग की है. वहीं सरकार API के लिए PLI स्कीम में कुछ बदलाव कर सकती है. दवा कंपनियों को Modernisation के लिए मशीन मंगाने पर ड्यूटी में छूट पर विचार कर सकती है सरकार.

महंगी दवाएं होंगी सस्ती

बता दें कि सरकार महंगी दवाओं को सस्ता करने पर फोकस कर रही है. चरणबद्ध तरीके से दवाओं के ट्रेड मार्जिन पर नियंत्रण लगाया जाएगा. इसके अलावा पहले चरण में हृदय रोग और शुगर की दवाओं पर फैसला हो सकता है. हार्ट, किडनी, कैंसर, शुगर, टीबी और अन्य जीवन रक्षक दवाओं के मार्जिन पर कंट्रोल किया जा सकता है. 

Non-Scheduled दवाओं के दाम पर नियंत्रण

इसके अलावा नॉन शेड्यूल्ड दवाओं के दाम पर नियंत्रण किया जा सकता है और National List Of Essential Medicines पर भी पुनर्विचार किया जा सकता है. इसके अलावा मार्जिन पर NPPA का प्रेजेंटेशन होगा. बता दें कि रेगुलेटर कई महीनों से मार्जिन, रीटेल कीमतों पर अध्ययन कर रहा है. 

कितना मार्जिन लेती है दवा कंपनियां  

NPPA के डाटा की माने तो 100 रुपये से अधिक कीमत वाली दवाओं पर 8-9% मामले में मार्जिन 200-500% होता है. वहीं 3% मामलों में मार्जिन 500-1000% और 2% मामलों में ये 1000% से भी ज्यादा हो सकता है. हालांकि इसकी घोषणा तुरंत होने की संभावना नहीं है और सूत्रों का कहना है कि इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शायद 15 अगस्त को कर सकते हैं.