देश के प्रमुख उद्योग मंडल फिक्की ने सरकार से आगामी बजट में छोटी-बड़ी हर प्रकार की कंपनियों पर कॉरपोरेट कर की दर घटा कर 25 प्रतिशत रखे जाने की सिफारिश की है. भारतीय वाणिज्य उद्योग महासंघ (फिक्की) का कहना है कि इससे कारोबार का विस्तार होगा और कर संग्रह भी बढ़ेगा. फिक्की ने एक बयान में यह भी सुझाव दिया है कि व्यक्तिगत आयकर की 30 प्रतिशत वाली सबसे ऊंची दर सालाना 20 लाख रुपये से ऊपर की आमदनी वालों पर ही लागू होनी चाहिए. उद्योग मंडल ने कहा है कि भारत में कारोबार करने वाली इकाइयों के लिए ‘‘कर की लागत ऊंची है. इससे उत्पादन लागत ऊंची हो जाती है तथा कंपनियों की बचत और कम हो जाती है. परिणाम यह होता है कि उनके पास कारोबार में निवेश और विस्तार के लिए कम धन बचता है.

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कर की प्रभावी लागत बहुत ऊंची

फिक्की का मानना है कि ‘‘कॉरपोरेट कर की 30 प्रतिशत और लाभांश वितरण पर 20 प्रतिशत कर की दर से कंपनियों पर कर की प्रभावी लागत बहुत ऊंची हो जाती है.’’ फिक्की ने वित्त मंत्रालय को अपनी बजट पूर्व सिफारिश में कहा है कि ‘‘विश्व के कई प्रमुख औद्योगिक देशों ने अपने यहां कर की दरों में काफी कमी की है. भारत में भी कंपनियों पर करों के बोझ में कमी करने पर विचार किया जाना चाहिए.’’ 

फिक्की ने अपने ज्ञापन में न्यूनतम वैकल्पिक कर को भी घटाने की सिफारिश की है. उसका कहना है कि 18.5 प्रतिशत की मौजूदा दर काफी ऊंची है. उसने कंपनियों के वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास और सामाजिक उत्तरदायित्व पर किए जाने वाले खर्चों पर भारांकित आयकर कटौती जारी रखने की सिफारिश की है. 

 

व्यक्तिगत बचत को प्रोत्साहन मिले

उद्योगमंडल ने व्यक्तिगत आयकरदताओं को विनिर्दिष्ट निवेश योजनाओं में निवेश पर धारा 80जी के तहत मिलने वाली कटौती को बढ़ा कर तीन लाख रुपये करने की भी सिफारिश की है. उसका कहना है कि इससे ‘व्यक्तिगत बचत को प्रोत्साहन मिलेगा.’’इसी तरह ज्ञापन में कर्मचारियों के भोजन खर्च पर दैनिक 200 रुपये तक के खर्च पर करयोग्य आय में कटौती का लाभ दिया जाए. अभी यह सीमा 50 रुपये तक है.

(इनपुट एजेंसी से)