केंद्र सरकार ने किसान से लेकर मीडिल क्लास तक सभी के लिए बंपर राहत का ऐलान किया है और इसके लिए सरकार के खजाने से भारी भरकम खर्च भी किया जाएगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि केंद्र सरकार सबसे ज्यादा खर्च ब्याज चुकाने में करती है? बजट दस्तावेज के मुताबिक सरकार के कुल खर्च में ब्याज अदायगी की हिस्सेदारी 18% है. इससे समझा जा सकता है कि सरकार के लोकलुभावन फैसले की कीमत अंत में जनता ही चुकाती है क्योंकि अगर सरकार पर कर्ज न होता तो ये 18% हिस्सा आम लोगों की बेहतरी के लिए दूसरे मद में खर्च हो सकता था.

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ब्याज पर अदा की जाने वाली राशि कितनी अधिक है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि सरकार कुल खर्च का 8 प्रतिशत रक्षा बजट पर खर्च किया जाता है. ये राशि ब्याज चुकाने पर की जाने वाली राशि के मुकाबले आधे से भी कम है. केंद्र सरकार पेंशन पर पांच प्रतिशत राशि खर्च करती है.

राज्यों को करों और शुल्कों के हिस्से के रूप में 23 पैसे दिए जाते हैं. केंद्र सरकार की योजनाओं पर 9 पैसे खर्च किए जाते हैं. यानी अगर ब्याज का बोझ न हो तो सरकार केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं पर खर्च बढ़ाकर तीन गुना कर सकती है.

जहां तक सरकार की आमदनी की बात है तो उसे सेवा कर और अन्य करों से 21 प्रतिशत, केंद्रीय उत्पाद शुल्क से 7 प्रतिशत, सीमा-शुल्क से 4 प्रतिशत, आयकर से 17 प्रतिशत, कॉरपोरेशन टैक्स से 21 प्रतिशत और उधार तथा अन्य लाइबिलिटी से 19 पैसे की आय होती है.