पीएम मोदी 20 अप्रैल को करेंगे वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन, 171 देशों के प्रतिनिधि ले रहे हैं भाग
Buddha Purnima 2023: पीएम मोदी 20 अप्रैल को वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे और सत्र को संबोधित करेंगे. इस सम्मेलन में लगभग 171 देशों के प्रतिनिधि और भारतीय बौद्ध संगठनों के 150 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.
Buddha Purnima 2023: आजादी के अमृत महोत्सव के तहत केंद्र सरकार 20-21अप्रैल को नई दिल्ली में वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का आयोजन करने जा रही है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को बौद्ध जीवन दर्शन से जोड़ना है. बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के सहयोग से संस्कृति मंत्रालय द्वारा दो दिवसीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी की जा रही है. वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का विषय “समकालीन चुनौतियों के प्रति प्रतिक्रिया: अभ्यास के लिए दर्शन” है. इस शिखर सम्मेलन में दुनिया भर के प्रतिष्ठित विद्वान और संघ के नेता हिस्सा लेंगे. वे लोग सम्मेलन में विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे और बुद्ध धम्म में इसके उत्तर तलाशेंगे.
पीएम मोदी भी होंगे शामिल
बता दें कि पीएम मोदी 20 अप्रैल को वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे और सत्र को संबोधित करेंगे. इस सम्मेलन में लगभग 171 देशों के प्रतिनिधि और भारतीय बौद्ध संगठनों के 150 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. इसके अलावा इस सम्मेलन में दुनिया भर के प्रतिष्ठित विद्वान, संघ के नेता और धर्म के अनुयायी भी भाग ले रहे हैं.
पहली बार विभिन्न देशों के बौद्ध भिक्षु भारत आएंगे
बता दें कि यह पहला ऐसा मौका है जब विभिन्न देशों के बौद्ध भिक्षु भारत आएंगे और वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. इस सम्मेलन में मुख्य रूप से बुद्ध धम्म और शांति, पर्यावरणीय संकट, स्वास्थ्य और स्थिरता,नालंदा बौद्ध परंपरा का संरक्षण जैसे विषयों पर चर्चा आयोजित की जाएगी. इसके साथ ही यह वैश्विक शिखर सम्मेलन बौद्ध धर्म में भारत की प्रासंगिकता और उसके महत्व को रेखांकित करेगा, क्योंकि बौद्ध धर्म का जन्म भारत में ही हुआ था.
बौद्ध धर्म में भारत की प्रासंगिकता
इस शिखर सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य शाक्यमुनि बुद्ध की शिक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करना है जो सदियों से बुद्ध धम्म के अभ्यास से लगातार समृद्ध होती रही हैं. इसका उद्देश्य बौद्ध विद्वानों और धर्मगुरुओं के लिए एक मंच स्थापित करना है. यह सम्मेलन धर्म के मूल मूल्यों के अनुरूप, सार्वभौमिक शांति और सद्भाव की दिशा में काम करेगा साथ ही अकादमिक शोध के लिए एक दस्तावेज तैयार करने में भी मदद करेगा.
(रिपोर्ट-पीबीएनएस)
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