Booster Dose of covid-19 Vaccine: कोरोना (covid-19 ) महामारी के खतरे से बचाने वाली वैक्सीन की दोनों dose लगवा चुके लोगों को अब इस बात की फिक्र सता रही है कि यह वैक्सीन कितने महीनों तक साथ निभाएगी. इसीलिए भारत में भी अब बूस्टर डोज लगाए जाने को लेकर चर्चा हो रही है. इसीलिए आपके लिए यह समझना जरूरी है कि आपको बूस्टर डोज लगवानी चाहिए या नही.

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क्या अब तीसरी डोज लगा लेनी चाहिए?

भारत में कोरोनावायरस के मरीजों का आंकड़ा फिलहाल 10 से 14000 के बीच में रोजाना के हिसाब से आ रहा है. इसका मतलब इतने लोग अभी भी रोज कोरोनावायरस की चपेट में आ रहे हैं. जो लोग वैक्सीन (covid vaccine news) लगवा चुके हैं उन्हें भी कोरोनावायरस ने वैक्सीन लगने के बावजूद अपनी चपेट में लिया ऐसे में सवाल यह है कि क्या अब तीसरी डोज लगा लेनी चाहिए? क्या बूस्टर डोज कोरोनावायरस को कम करने में कामयाब साबित होगी? 

बूस्टर डोज लगवाएं तो नई वैक्सीन लगाएं

एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया के मुताबिक अगर आप कभी भी बूस्टर डोज लगवाएं तो नई वैक्सीन की लगाएं. यानी अगर आपने covishield वैक्सीन की दोनों dose ली हैं तो बूस्टर डोज के तौर पर आपको कोवैक्सीन लगवानी चाहिए. इसी तरह अगर आपने कोवैक्सीन की दोनों dose ली है तो अब आपको को covishield को बूस्टर डोज के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए.

हर किसी को बूस्टर डोज की जरूरत नहीं पड़ेगी

सभी लोगों को बूस्टर डोज की जरूरत है या नहीं इस पर आने वाले कुछ हफ्तों में सरकार एक पॉलिसी लाकर फैसला ले सकती है. उम्मीद की जा रही है कि गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोग बुजुर्ग लोग और कमजोर इम्यूनिटी के शिकार लोगों को बूस्टर डोज देने की सलाह दी जा सकती है. हालांकि covaxin researcher Dr Sanjay Rai की राय में हर किसी को बूस्टर डोज लगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. खासतौर पर ऐसे लोग जिन्हें एक बार कोरोनावायरस हो चुका है, उनके शरीर में वायरस से लड़ने के लिए एक नेचुरल तंत्र भी तैयार हो जाता है इसलिए उन्हें वैक्सीन की जरूरत नहीं है

30 से ज्यादा देश booster dose लगा रहे

ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, इजरायल समेत दुनिया के तकरीबन 30 से ज्यादा देश booster dose लगा रहे हैं लेकिन भारत में अभी भी 35% आबादी को वैक्सीन की एक भी dose नहीं लगी  है. दिसंबर तक वैक्सीनेशन कार्यक्रम पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है उसके बाद बच्चों को वैक्सीन लगाने की शुरुआत हो सकती है. बूस्टर डोज लगाने या ना लगाने का फैसला किसी भी देश के लिए इस बात पर निर्भर करता है की वैक्सीन की उपलब्धता उस देश के पास कितनी है और वैक्सीनेशन कार्यक्रम में वह देश कहां खड़ा है इन दोनों मामलों में भारत में अभी बहुत अच्छी स्थिति नहीं है इसीलिए सरकार बूस्टर डोज को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं करेगी.

वैक्सीन को लेकर जानें अपडेट

यहां आपको हम यह भी जानकारी दे दें कि स्पूतनिक लाइट जो कि सिंगल डोज वैक्सीन है उसे बनाने वाली कंपनी का दावा है कि यह बेहतरीन बूस्टर डोज साबित हो सकती है. इसी तरह covaxin निर्माता भारत बायोटेक कंपनी नाक के जरिए दी जाने वाली मशीन पर काम कर रही है. भारत बायोटेक के मुताबिक भी नेजल वैक्सीन बूस्टर डोज के लिए अच्छी चॉइस हो सकती है. लेकिन जब तक सरकार फैसला नहीं लेती तब तक आपको बूस्टर डोज के लिए इंतजार करना होगा.

तब नई वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी

इसके अलावा यह भी मुमकिन है कि अगर कोरोनावायरस का कोई नया स्ट्रेन आने वाले वक्त में देखने को मिलता है तो उससे बचने के लिए नई वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी. इसीलिए वैज्ञानिकों का एक अर्थ यह है कि अगर आप एक बार वैक्सीन की दोनों दोस्त लगवा चुके हैं तो फिर आराम से रहिए. अक्टूबर के महीने में द लैंसेट जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल बूस्टर डोज की जरूरत नहीं है. कई वैज्ञानिक और डॉक्टर दबी जुबान में यह भी मानते हैं की कोरोनावायरस की इतनी सारी वैक्सीन आने की वजह से यह फार्म लॉबी का दबाव है जो बूस्टर dose की वकालत कर रहा है. 

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बूस्टर डोस लगाने या ना लगाने का फैसला 

दुनिया में इस वक्त कोरोनावायरस की 24 से ज्यादा वैक्सीन है जो लगाई जा रही है जबकि 300 से ज्यादा vaccine निर्माण के अलग-अलग चरण में हैं. जाहिर है इतनी बड़ी संख्या में वैक्सीन आने पर कंपनियों को इन के खरीदारों की जरूरत की पड़ेगी. इसीलिए अगर आपको अपने लिए यह फैसला लेना हो तो तार्किक आधार पर यह सोचिएगा कि दोबारा कोरोनावायरस का इंजेक्शन होने का खतरा कितना है. भारत में अब कोरोनावायरस काफी मंद पड़ चुका है. यानी अब इतना गंभीर इंफेक्शन नहीं हो रहा है इसीलिए क्या सच में बूस्टर dose से कोई फायदा होगा इन सवालों के जवाब के आधार पर ही बूस्टर डोस लगाने या ना लगाने का फैसला लिया जाना चाहिए.