विदेशों में छुपाए काले धन (Black money) की खोज में टैक्स संधियों और काले धन पर बने कानून का असर दिखना शुरू हो रहा है. विदेशी टैक्स अथॉरिटीज से मिले ठोस दस्तावेजों और सबूतों के आधार पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के हाथ मजबूत हो रहे हैं. ठोस सबूतों को देखकर मुंबई इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल यानी ITAT ने ब्लैक मनी एक्ट के तहत एक मामले में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पक्ष में फैसला दिया है. 

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क्या है पूरा मामला

इसमें एक कारोबारी ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में कंपनी खोली थी. नाम था UBS AG. इस कंपनी में पैसों का ट्रांसफर सिंगापुर के जरिये होता था. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बैंक लेन-देन के आधार पर यह मामला पकड़ा था. इसी मामले में इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल यानी ITAT (Income Tax Appellate Tribunal) ने ब्लैक मनी एक्ट के तहत अहम आदेश दिया है.

कितनी रकम का था मामला

इस केस में 999.75 करोड़ रुपये UBS AG, सिंगापुर में जमा किए गए थे. यह रकम साल 2008-09 और 2009-10 में जमा की गई लेकिन फिर अकाउंट को बंद करा दिया गया. कारोबारी टैक्सपेयर ने सबूतों को पहले तो नकारा लेकिन बाद में स्वीकार कर लिया. 

दी गई ये दलील

कारोबारी ने इस मामले में दलील दी कि पिता ने यह अकाउंट खोला था, जिसकी जानकारी उसे नहीं थी. लेकिन जब अचानक दस्तावेज मिले और इसमें कानूनी राय ली गई तो फिर उसने मान लिया. VP प्रमोद कुमार और मेंबर जूडिशियल रवीश सूद की बेंच ने यह फैसला दिया है. ब्लैक मनी एक्ट के तहत ये तीसरा केस है जिसमें आर्डर आया है. ट्रिब्यूनल ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के जांच की तारीफ की.          

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कैसे मजबूत बना केस 

सिंगापुर सरकार से टैक्स संधि की वजह से दस्तावेज मिले. इसमें कंपनी बनाने के दस्तावेज, बैंक खाते के दस्तावेज सबूत बने. बेनिफिशियल ओनर डिक्लेरेशन, बैंक इंस्ट्रक्शन अहम सबूत साबित हुए. KYC में दिया गया पासपोर्ट और दूसरे दस्तावेजों से  केस ठोस बन सका.