Beating The Retreat 2024: ऐतिहासिक विजय चौक 29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान 31 भारतीय धुनों का गवाह बनेगा, जो 75 वें गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होगा. बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत 1950 के दशक में हुई जब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने सामूहिक बैंड द्वारा प्रदर्शन के अनूठे समारोह को स्वदेशी रूप से विकसित किया. 'बीटिंग रिट्रीट' सदियों पुरानी सैन्य परंपरा का प्रतीक रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 'बीटिंग रिट्रीट' सदियों पुरानी सैन्य परंपरा का प्रतीक है. रिट्रीट बजने पर सैनिक लड़ना बंद कर देते थे, अपने हथियार रख लेते थे, युद्ध के मैदान से हट जाते थे और सूर्यास्त के समय शिविरों में लौट आते थे. मंत्रालय ने कहा, रंगों और मानकों को ढक दिया जाता था और झंडे उतार दिए जाते थे. यह समारोह बीते समय की पुरानी यादें ताजा करता है. इसमें कहा गया है कि भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के म्यूजिक बैंड राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी के सामने 31 मनमोहक भारतीय धुनें बजाएंगे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी अध्यक्षता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस वर्ष के बीटिंग द रिट्रीट समारोह की अध्यक्षता करेंगी, यह एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसमें शास्त्रीय रागों से प्रेरित 29 धुनों की भव्य धूमधाम होगी. भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना और सीएपीएफ के बैंड इन धुनों को प्रस्तुत करने के लिए एक साथ आएंगे. समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल होंगे. सामूहिक बैंड की 'शंखनाद' धुन से होगी शुरुआत मंत्रालय ने कहा, समारोह की शुरुआत सामूहिक बैंड की 'शंखनाद' धुन से होगी, जिसके बाद पाइप्स और ड्रम बैंड द्वारा 'वीर भारत', 'संगम दूर', 'देशों का सरताज भारत', 'भागीरथी' और 'अर्जुन' जैसी मनमोहक धुन पेश की जाएंगी. सीएपीएफ बैंड 'भारत के जवान' और 'विजय भारत' बजाएंगे. मंत्रालय ने कहा कि 'टाइगर हिल', 'रेजॉइस इन रायसीना' और 'स्वदेशी' भारतीय वायु सेना के बैंड द्वारा बजाई जाने वाली धुनों में से हैं. जबकि दर्शक भारतीय नौसेना बैंड को 'आईएनएस विक्रांत', 'मिशन चंद्रयान', 'जय भारती' और 'हम तैयार हैं' सहित कई धुनें बजाते हुए देखेंगे. यहां देख सकते हैं LIVE अगर आप बीटिंग रिट्रीट समारोह को जाकर नहीं देख पा रहे तो इसे घर बैठे भी LIVE देख सकते हैं. आज बीटिंग द रिट्रीट समारोह का सीधा प्रसारण दूरदर्शन के राष्ट्रीय यूट्यूब चैनल या डीडी न्यूज होगा. 31 भारतीय धुनों से गूंजेगा समारोह मंत्रालय ने कहा, "इसके बाद भारतीय सेना का बैंड 'फौलाद का जिगर', 'अग्निवीर', 'कारगिल 1999', 'ताकत वतन' जैसे अन्य गाने बजाएगा. इसमें कहा गया है कि इसके बाद सामूहिक बैंड 'कदम कदम बढ़ाए जा', 'ऐ मेरे वतन के लोगों' और 'ड्रमर्स कॉल' की धुनें बजाएंगे. मंत्रालय ने कहा, "यह कार्यक्रम 'सारे जहाँ से अच्छा' की लोकप्रिय धुन के साथ समाप्त होगा. राष्ट्रीय राजधानी के विजय चौक पर आज शाम को गणतंत्र दिवस समारोह के समापन के प्रतीक बीटिंग रिट्रीट समारोह में सभी भारतीय धुनें शामिल होंगी, जिसकी शुरुआत 'शंखनाद' धुन के साथ होगी जो बजाने के समान है. संगीतमय अनुष्ठान को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी और अन्य लोग रायसीना हिल्स पर सूरज डूबने के साथ देखेंगे. 100 महिलाएं करेंगी शंखनाद भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के संगीत बैंड 31 मनोरम और थिरकने वाली भारतीय धुनें बजाएंगे. 26 जनवरी को, गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत कर्तव्य पथ के औपचारिक मार्ग पर 100 महिलाओं द्वारा शंख बजाने और अन्य पारंपरिक भारतीय वाद्य यंत्र बजाने के साथ हुई. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अन्य केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे. 'मिशन चंद्रयान', 'जय भारती' और 'हम तैयार हैं'. इसके बाद भारतीय सेना का बैंड होगा जो 'फौलाद का जिगर', 'अग्निवीर', 'कारगिल 1999', 'ताकत वतन' समेत अन्य गीत बजाएगा. इसके बाद सामूहिक बैंड 'कदम कदम बढ़ाए जा', 'ऐ मेरे वतन के लोगों' और 'ड्रमर्स कॉल' की धुनें बजाएंगे. कार्यक्रम का समापन 'सारे जहाँ से अच्छा' की लोकप्रिय धुन के साथ होगा. कब शुरू हुई थी इसकी शुरुआत समारोह के मुख्य संचालक लेफ्टिनेंट कर्नल विमल जोशी होंगे. जबकि आर्मी बैंड के कंडक्टर सूबेदार मेजर मोती लाल होंगे, एमसीपीओ एमयूएस II एम एंटनी और वारंट ऑफिसर अशोक कुमार क्रमशः भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के कंडक्टर होंगे. सीएपीएफ बैंड की संचालिका कांस्टेबल जीडी रानी देवी होंगी. बुग्लर्स नायब सूबेदार उमेश कुमार के नेतृत्व में प्रदर्शन करेंगे और पाइप्स और ड्रम बैंड सूबेदार मेजर राजेंद्र सिंह के निर्देश पर बजाएंगे. 'बीटिंग रिट्रीट' की शुरुआत 1950 के दशक की शुरुआत में हुई जब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने सामूहिक बैंड द्वारा प्रदर्शन के अनूठे समारोह को स्वदेशी रूप से विकसित किया.