Badrinath Dham opened: श्रद्धालुओं के लिए आज अच्छी खबर है. बदरीनाथ धाम के कपाट आज खोल दिए गए हैं. बड़ी संख्या में मौजूद दर्शनार्थियों के साथ बदरीनाथ धाम के कपाट विधि-विधान और मंत्रोच्चार और सेना बैंड की धुनों के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोले (Badrinath Dham opened) गए. सबसे पहले कपाट खोलने से पहले भगवान के खजाने की पूजा-अर्चना हुई. पहले ही दिन की अगर आप तस्वीरें देखेंगे, तो भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ दिखेगी, जो हर हर महादेव के जयकारे लगाकर पुण्य दर्शन कर रहे हैं. बता दें कपाट खुलने की तैयारी तड़के से ही शुरू हो गई थी, मंदिर के वरिष्ठ धार्मिक और प्रशासनिक अधिकारियों ने मंदिर में प्रवेश करके दर्शन किए. ध्यान देने वाली बात ये है कि यहां एक दिन में सिर्फ 15 हजार श्रद्धालुओं को ही दर्शन की अनुमति है.

चारों धाम के खुले कपाट

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इससे पहले 6 मई को केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए थे. 3 मई को अक्षय तृतीया के अवसर पर गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ ही इस साल की चारधाम यात्रा शुरू हुई थी.

पिछले दो साल से कोविड महामारी के कारण बाधित रही चारधाम यात्रा में रिकार्ड श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, गंगोत्री और यमुनोत्री में शुरुआती तीन दिनों में 37 हजार से ज्यादा यात्री पहुंचे हैं. यात्रियों की इस संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने प्रत्येक धाम में प्रतिदिन दर्शन करने के लिए तीर्थयात्रियों की संख्या को निर्धारित कर कर दिया है.

किस धाम में कितने दर्शनार्थी

इस साल चार धाम यात्रा के लिए उत्तराखंड ने निर्देश जारी करते हुए प्रतिदिन तीर्थ यात्रियों की संख्या (Daily limit of Pilgrims visiting Char Dhams) को निर्धारित कर दिया है. सरकार के नए आदेश के अनुसार बद्रीनाथ धाम (Badrinath) में 15,000, केदारनाथ (Kedarnath) में 12,000, गंगोत्री (Gangotri) में 7,000 और यमुनोत्री (Yamunotri) धाम में 4,000 यात्री प्रतिदिन दर्शन कर सकेंगे.

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कोविड की नेगेटिव जांच रिपोर्ट जरूरी नहीं

उत्तराखंड आने वाले तीर्थयात्रियों को कोविड की नेगेटिव जांच रिपोर्ट या टीकाकरण प्रमाणपत्र साथ रखना अनिवार्य नहीं है. प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों की कोविड की नेगेटिव जांच रिपोर्ट या टीकाकरण प्रमाणपत्र की जांच अगले आदेश तक अनिवार्य नहीं होगी. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि श्रद्धालुओं को आने पर किसी प्रकार की असुविधा न हो और राज्य की सीमाओं पर भीड़ न जमा हो.