साधारण खांसी, ज़ुकाम, बुखार हो या कैंसर – बीमारी के इलाज के लिए कोई व्‍यक्ति एलोपैथी पर भरोसा करता है तो कोई आयुर्वेद, यूनानी या होम्योपैथी के जरिए इलाज करना चाहता है. अक्सर एक डॉक्टर दूसरी विधा में खामियां बताकर उसे खारिज कर देता है. लेकिन अगर दोनों सिस्टम एक दूसरे की खूबियों को मिलाकर इलाज के तरीके ईजाद करें तो जरा सोचिए कि इसमें मरीजों को कितना फायदा होगा? अब ऐसा एक रास्ता निकाला गया है.

आईसीएमआर और आयुष मंत्रालय ने साइन किया एमओयू

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आयुष मंत्रालय जिसके तहत आयुर्वेद, यूनानी, योगा, सिद्धा और होम्योपैथी आते हैं, वो आयुष मंत्रालय अब आयुर्वेद और एलोपैथी को मिलाकर इलाज के तरीके ईजाद करेगा. हाल ही में आईसीएमआर और आयुष मंत्रालय ने इस बारे में एक MOU को साइन किया है.

दोनों विभाग मिलकर करेंगे क्‍लीनिकल ट्रायल

दोनों विभाग मिलकर इलाज के क्षेत्र में रिसर्च का काम करेंगे. ऐसी बीमारियां जो देश में तेज़ी से फैल रही हैं  और जिस बीमारी के मरीज़ ज्यादा हैं, उन बीमारियों के लिए क्लीनिकल ट्रायल भी किए जाएंगे. इन ट्रायल्स में आयुष के तहत आने वाली थैरेपी को आज़मा कर देखा जाएगा. दोनों विभाग एक दूसरे की टेक्नोलॉजी और सिस्टम को शेयर करेंगे. 

ये कहना है स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री का

दूसरे देशों में आयुष सिस्टम के तहत जो इलाज हो रहे हैं उनकी स्टडी भी की जाएगी. एम्स में मौजूद आयुष डिपार्टमेंट भी आने वाले समय में इंटिग्रेटिड मेडिसिन के विभाग में बन जाएगा. केंद्रीय स्वास्थ्‍य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के मुताबिक वैज्ञानिक तथ्यों और रिसर्च के आधार पर आयुष और एलोपैथ दोनों सिस्टम मिलकर काम करेंगे जिससे मेडिसिन की विधा का विकास होगा.

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