Work From Home side effect: कोरोना महामारी (coronavirus) के दौरान भारत सहित कई देशों में घर से काम (Work From Home) का चलन चल पड़ा है. लगभग डेढ़ साल से अधिक समय से ज्यादातर लोग घर से ही ऑफिस वर्क कर रहे हैं. इस कल्चर ने नौकरीपेशा लोगों के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाने का काम किया है. घर से काम (Work From Home) जहां एक और कुछ लोगों को सहुलियत प्रदान करने में सफल रहा है तो वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इससे निजात पाना चाहते हैं. 

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न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक जॉब साइट स्कीकी मार्केट नेटवर्क (job site SCIKEY Market Network) ने इसे लेकर एक सर्वे किया है. सर्वे में शामिल 59 फीसदी पुरुष कर्मियों ने वर्क फ्रॉम होम  (Work From Home) के प्रति निराशा जाहिर की है. इन पुरुषों का मानना है कि इस कल्चर ने उनके पर्सनल लाइफ (personal life) पर गहरा प्रभाव छोड़ा है. वहीं 56 फीसदी महिलाओं ने भी इस बात पर अपनी सहमति जताई है.

वर्क फ्रॉम होम  (Work From Home) ने बदल दी है लोगों की जिंदगी

यह सर्वे स्कीकी मार्केट नेटवर्क ने देश के महानगरों में 20 से 26 जून के दौरान 2,500 भागीदारों के बीच किया. 22 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि वह घर से काम के दौरान अपने सीनियर या सुपरवाइजर पर भरोसा करते हैं. लेकिन 25 फीसदी ने कहा कि काम को लेकर उम्मीदें उनकी क्षमता से कई अधिक होती है. ऐसे में उन्हें हमेशा काम छूट जाने का डर सताता रहता है.पुरुषों के अलावा महिला कर्मियों में भी इस तरह का डर देखने को मिला. इसके अलावा 20 फीसदी पुरुषों का मानना था कि उन्हें कार्यस्थल पर समर्थन नहीं मिलता. जबकि ऐसा सोचने वाली महिलाओं की संख्या 16 फीसदी थी.

ऑफिस के मुकाबले घर से रहता है काम का ज्यादा दबाव

कोरोना वायरस के कारण आने वाले समय में भी घर से काम (Work From Home) होना तय माना जा रहा है. तीसरी लहर की आशंका के बीच अभी भी ज्यादतर कंपनियां अपने स्टाफ से घर से ही काम ले रही हैं. घर से काम करने का दबाव शारीरिक के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर कर रहा है. यही वजह है कि अधिकतर लोग ऐसे समय में डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं.