राज्यों की कैटेगरी अब नए तरीके से तय होगी. 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन (15th Finance Commission Chairman) एन के सिंह ने कहा कि हाई, मिडियम और कम विकास दर के आधार पर राज्यों को अलग-अलग कैटेगरी में रखा जाएगा. आयोग ने राज्यों के कई तरह के ग्रोथ मॉडल को देखते हुए यह फैसला किया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, सिंह ने कहा, वित्त आयोग (Finance Commission) में हमने 2019-20 से 2024-25 की पीरियड के लिए अपनी सिफारिशों के लिए विभिन्न राज्यों की विकास दर पर चर्चा की. हमने इस बात पर विचार किया कि कौन से कारक हैं जिससे कुछ राज्य तेजी से आगे जा रहे हैं. क्या इसमें कुछ समानता है ?

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उन्होंने कहा कि आयोग ने आंतरिक कामकाज में पाया कि राज्यों को तीन कैटेगरी में बांटना सही फैसला साबित होगा. सिंह ने कहा, हमने पाया कि राज्यों को हाई ग्रोथ रेट, मिडियम ग्रोथ रेट और लो ग्रोथ रेट के आधार पर तीन कैटेगरी में रखना सही होगा. इसीलिए हम इस बात पर गौर कर रहे हैं कि बदलाव के वे कौन से कौन से कारक हैं, जिसका रिजल्ट्स यह है.’’

नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की तरफ से आयोजित इंडिया पॉलिसी फोरम, 2020 में उन्होंने कहा कि कम प्रति व्यक्ति इनकम के साथ राज्यों को संसाधनों का बंटवारा राज्यों के एकरूपता के साथ नहीं मिले. सिंह ने कहा, इसीलिए कौन से कारक हैं, जो बेहतर तरीके से एकरूपता ला सकते हैं, यह एक जरूरी राष्ट्रीय लक्ष्य है.

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उन्होंने कहा कि पिछले 30 से 40 साल में वित्त आयोग ने परंपरागत तरीके का उपयोग किया जिसे समानता लाने का फॉर्मूला कहते हैं. सिंह ने कहा कि राज्यों में पंजाब में विकास दर स्थिर रहने का ट्रेंड रहा है, यह बिल्कुल अनोखा है. उन्होंने कहा, कि संभवत: वह कृषि से बाहर निकलने में विफल रहा, यह दिलचस्प है कि पंजाब की विकास का ट्रेंड बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे परंपरागत रूप से गरीब राज्यों से भी नीचे है.