WPI in July: जुलाई महीने के लिए थोक महंगाई का डेटा आ गया है. मंथली आधार पर थोक महंगाई (Wholesale Inflation) में गिरावट आई है. जुलाई में होलसेल प्राइस इंडेक्स घटकर 13.93 फीसदी पर आ गया जो जून के महीने में 15.18 फीसदी था. इससे पहले खुदरा महंगाई का डेटा आया था. आम आदमी को वहां भी राहत मिली है. जुलाई में देश में खुदरा महंगाई दर घटकर 6.71 फीसदी पर पहुंच गई. जून महीने में खुदरा महंगाई दर 7.01 फीसदी पर रही थी. 

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मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक,  जुलाई के महीने में कोर इंफ्लेशन रेट 8.3 फीसदी था. जून के महीने में कोर इंफ्लेशन रेट 9.2 फीसदी था. जुलाई में फूड इंफ्लेशन रेट 9.41 फीसदी था जो जून के महीने में 12.41 फीसदी रहा था.

 

किस कैटिगरी में कितनी घटी महंगाई?

मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट कैटिगरी में महंगाई 9.19 फीसदी से घटकर 8.16 फीसदी पर आ गई है. वेजिटेबल्स कैटिगरी में इंफ्लेशन रेट 56.75 फीसदी से घटकर 18.25 फीसदी पर आ गया है. एग, मीट एंड फिश कैटिगरी में इंफ्लेशन 7.24 फीसदी से घटकर 5.55 फीसदी पर आ गया है. अनियन इंफ्लेशन रेट माइनस 25.93 फीसदी रहा है. पोटैटो इंफ्लेशन रेट 39.38 फीसदी से बढ़कर 53.50 फीसदी पर पहुंच गया है. प्राइमरी आर्टिकल इंफ्लेशन रेट 19.22 फीसदी से घटकर 15.04 फीसदी पर पहुंच गया है.

खाने के तेल में नरमी से महंगाई पर असर

खाद्य तेल की कीमत में कमी आने के कारण खुदरा महंगाई (Retail inflation) जुलाई में नरम होकर 6.71 फीसदी पर आ गई. हालांकि यह अभी भी भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर की उच्च सीमा 6.0 फीसदी से ऊपर बनी हुई है. बाजार का अनुमान है कि रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में एक और बढ़ोतरी कर सकता है.

अगली दो मॉनिटरी पॉलिसी में रेपो रेट में 60bps की बढ़ोतरी संभव

इंफ्लेशन में आई गिरावट को लेकर GEPL कैपिटल के एक्सपर्ट दीपक पजवानी ने कहा कि कमोडिटी की कीमत में कमी से महंगाई की दर में गिरावट देखने को मिल रही है. रिजर्व बैंक ने इस महीने हुई मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में रेपो रेट 50 बेसिस प्वाइंट्स से बढ़ाया है. रिजर्व बैंक का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में औसत महंगाई दर 6.7 फीसदी रहेगी. अगली दो मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में रिजर्व बैंक 35 और 25 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी कर सकता है.