भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि सरकार को कृषि संकट को कम करने के लिए यूनिवर्सल मिमिमम इनकम (UBI) योजना को लागू करने की बजाए किसानों को बिना शर्त कैश ट्रांसफर स्कीम (unconditional cash transfer) को चुनना चाहिए. SBI ने ‘इकोरैप’ शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर रायतु बंधु योजना लागू करना संभव नहीं है क्योंकि झारखंड, बिहार, गुजरात और तमिलनाडु सहित कई राज्यों में जमीनों के आंकड़ों को अब तक डिजिटल रूप नहीं दिया जा सका है.

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तेलंगाना मॉडल की है चर्चा

तेलंगाना में 2018 में मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने रयथू बंधु योजना शुरू की थी. इसके तहत किसानों की जोत के आधार पर उन्हें एक एक निश्चित आय दी जाती है. कई मीडिया रिपोर्ट में ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि मोदी सरकार आगामी अंतरिम बजट में रयथू बंधु योजना की तर्ज पर एक राष्ट्रीय स्तर पर एक योजना लॉन्च कर सकती है.

बिना शर्त कैश ट्रांसफर योजना ज्यादा बेहतर

रिपोर्ट में कहा गया है, 'ऐसे में (प्रति किसान) बिना शर्त कैश ट्रांसफर योजना को शुरू करना अधिक न्यायसंगत होगा क्योंकि इसका अधिक सार्थक प्रभाव पड़ेगा और किराया कानून से जुड़ी दिक्कतों के समाधान के बाद इसे शर्त के साथ कर दीजिए.' अध्ययन में कहा गया है कि इस तरह की खबरें सामने आई हैं कि सरकार कृषि में विभिन्न छूट और समर्थन के बजाए सीधे नकदी सहायता उपलब्ध करा सकती है.

बजट में किसानों के लिए क्या

रिपोर्ट के मुताबिक, '2019-20 के बजट में अनुमान है कि सरकार द्वारा दी जाने वाली कृषि सब्सिडी (और समर्थन) करीब 98100 करोड़ रुपये होगी (फसल बीमा- 13000 करोड़ रुपये, ब्याज सब्सिडी- 15000 करोड़ रुपये और खाद सब्सिडी- 70100 करोड़ रुपये).' ऐसी चर्चा थी कि इन सब्सिडी और समर्थन की जगह सरकार किसानों के लिए डायरेक्ट इनकम स्कीम ला सकती है. कुछ कृषि विशेषज्ञ और नीति आयोग को इस प्रस्ताव के पक्ष में बताया गया.

SBI की रिपोर्ट में क्या

एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूनिवर्सल बेसिक इनकम की जगह कैश ट्रांसफर को हमेशा एक बेहतर विकल्प माना गया है. कई देशों में पाया गया है कि यूबीआई से संरचनात्मक समस्याओं का समाधान नहीं मिलता है.