तीसरी तिमाही में 5.4 फीसदी रही GDP ग्रोथ रेट लेकिन देश की अर्थव्यवस्था में जारी रहेगी तेजी
GDP Growth Rate: आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट महामारी की तीसरी लहर की रोकथाम के लिये लगायी गयी पाबंदियों के साथ आयी है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, कारोबारी साल 2021-22 में जीडीपी वृद्धि दर 8.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
GDP Growth Rate: अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी खबर है. इस कारोबारी साल के तीसरी तिमाही में GDP ग्रोथ रेट 5.4 फीसदी रही. लेकिन देश की अर्थव्यवस्था में तेजी जारी रहेगी. आर्थिक वृद्धि दर तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर में धीमी पड़कर 5.4 प्रतिशत रही. हालांकि, जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के इस आंकड़े के बाद भी देश ने दुनिया की तेज वृद्धि दर वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था का दर्जा बरकरार रखा है.
सरकार ने जारी किए आंकड़े
सांख्यिकी मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2021-22 में 8.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. यह पहले के 9.2 प्रतिशत के अनुमान से कम है. तीसरी तिमाही की आर्थिक वृद्धि दर का 5.4 प्रतिशत का आंकड़ा सालाना आधार पर अधिक लेकिन तिमाही आधार पर कम है.
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एक साल पहले 2020-21 की इसी तिमाही में यह 0.7 प्रतिशत और पिछली तिमाही (जुलाई-सितंबर) में यह 8.5 प्रतिशत थी. वृद्धि दर का यह आंकड़ा देश में कोविड महामारी की तीसरी लहर के पूर्ण रूप से आने से पहले का है. इसके अलावा रूस के यूक्रेन पर हमले से कीमत के साथ जोखिम भी बढ़ा है.
पाबंदियों का दिखा असर
आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट महामारी की तीसरी लहर की रोकथाम के लिये लगायी गयी पाबंदियों के साथ आयी है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के दूसरे अग्रिम अनुमान (advance estimate) के मुताबिक, कारोबारी साल 2021-22 में जीडीपी वृद्धि दर 8.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. जबकि पिछले कारोबारी साल 2020-21 में इसमें 6.6 प्रतिशत की गिरावट आयी थी. तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर में कमी कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर उम्मीद से कम (2.6 प्रतिशत) रहने का अनुमान है.
यूक्रेन हमले का पड़ सकता है असर
जीडीपी वृद्धि का यह आंकड़ा इस साल की शुरुआत में ओमीक्रॉन के फैलने से पहले का है. इसकी रोकथाम के लिये कई राज्यों ने पाबंदियां लगायी थी. इसके अलावा तीसरी तिमाही में कई त्योहार भी थे. इससे मांग को गति मिली. वृद्धि दर में नरमी निजी खर्च में कमी को दर्शाती है. हालांकि, कोविड महामारी अब धीमी पड़ गयी है लेकिन अथर्व्यवस्था के सामने रूस पर यूक्रेन के हमले के कारण भू-राजनीतिक संकट है. मुद्रास्फीति और ऊर्जा के दाम में वृद्धि से पूरे वित्त वर्ष की जीडीपी वृद्धि दर पर दबाव पड़ सकता है.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2021-22 की तिमाही की जीडीपी वृद्धि के आंकड़े पर तुलनात्मक आधार का प्रभाव है. तीसरी तिमाही के आंकड़ों के आधार पर पुनरुद्धार को मजबूत नहीं कहा जा सकता.’’
'चौथी तिमाही में भी ऐसे ही रहेंगे हालात'
उन्होंने कहा कि, ‘‘इस्पात की खपत, वाणिज्यिक/यात्री वाहनों की बिक्री, बंदरगाहों पर कार्गो का प्रबंधन जैसे कई संकेतक या तो नकारात्मक वृद्धि अथवा कम वृद्धि को बता रहे हैं. यह स्थिति तब है कि 2020-21 की तिमाही का तुलनात्मक आधार काफी नीचे है. महामारी की तीसरी लहर के कारण चौथी तिमाही में भी स्थिति कोई बहुत अलग रहने की संभावना नहीं है.’’
मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान में 2021-22 के लिये कृषि वृद्धि दर 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है. यह पिछले वित्त वर्ष के समान है. औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर 2021-22 में 10.4 प्रतिशत तथा सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 8.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है.