Calling Name Presentation: आज के समय में ज्यादातर लोग वक्त-बेवक्त अनजान नंबर से आने वाले कॉल्स से परेशान रहते हैं. इसमें से कुछ आपको क्रेडिट कार्ड या इंश्योरेंस बेचने के लिए होते हैं, तो कुछ स्पैम या फ्रॉड से जुड़े कॉल्स भी होते हैं. ये कॉल्स न सिर्फ आपको परेशान करते हैं, बल्कि कई बार इनके कारण आपको भारी नुकसान भी उठाना पड़ता है. ऐसे में सरकार ने Truecaller जैसी सुविधा सभी कस्टमर्स को देने का मन बनाया है, जिसमें अनजान नंबर से भी कॉल आने पर आपको पता लग सकेगा कि कॉल करने वाला कौन है और कहीं ये कोई फेक या स्पैम कॉल तो नहीं है. 

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सरकार का मानना है कि Know You Caller से पारदर्शिता बढ़ेगी और ये तय कर पाएंगे कि आपको फोन उठाना है या नहीं. हालांकि टेलीकॉम कंपनियां इस मामले में पूरी तरह से सहमत नहीं हैं. कंपनियों का कहना है कि इसके उनकी लागत बढ़ जाएगी और साथ ही कस्टमर्स की निजी सुरक्षा को भी इससे खतरा है.

क्या है सरकार का प्लान?

सरकार की तरफ से टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई (TRAI) Calling Name Presentation (CNAP) पर ओपेन हाउस डिस्कशन किया, जिसमें इंटरनेट, टेलीकॉम कंपनियों और इंडस्ट्री एसोसिएशन के लोगों को शामिल किया गया. इस चर्चा में पूछा गया कि क्या चर्चा का विषय

टेलीकॉम नेटवर्क और सर्विस में CNAP लागू करने की आवश्यकता है? क्या सभी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर (TSP) कंपनियों के लिए इसे अनिवार्य करने की आवश्यकता है? क्या ग्राहक द्वारा SIM/ नेटवर्क लेते समय दी जाने वाली जानकारी का इस्तेमाल इसके लिए किया जा सकता है? 

CNAP के लिए 4 मॉडल पर चर्चा 

  • 1 डेटाबेस और सभी TSP को इस्तेमाल करने इजाजत 
  • सभी TSPs अपने डेटाबेस बनाएँ 
  • एक केंद्रीकृत डेटाबेस और थर्ड पार्टी संचालन 
  • दोनों तरह का डाटा बैंक बनाया जाए और उसी हिसाब से मिलान 

टेलीकॉम कंपनियां क्या कह रही हैं? 

बता दें कि टेलीकॉम कंपनियां अनिवार्य CNAP के पक्ष में नहीं हैं. उनका मानना है कि इसे अनिवार्य करने से लागत में बढ़ोतरी होगी. हालांकि इसे सब्सक्रिप्शन मॉडल जैसे शुरू किया जा सकता है. CNAP फ़ीचर शुरू करने से कॉल की प्रक्रिया लंबी हो सकती है और सॉफ्टवेयर बदलने पर इसमें भी बदलाव करना होगा.

टेलीकॉम कंपनियों ने कहा कि इसके अलावा CNAP का डेटा फोन कंपनियों, ऑपरेटिंग सिस्टम कंपनियों और ऐप्लीकेशन के पास भी होगा, जिससे लोगों की जानकारी पर खतरा है और कस्टमर्स की निजी सुरक्षा के साथ भी समझौता हो सकता है. KYC के बाद नाम सार्वजनिक करना लोगों के लिए असुविधाजनक हो सकता है. ऐसे में महिलाओं के लिए विशेष दिक्कत सम्भव है.

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