पेट्रोल के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल होने वाले एथेनॉल की कीमतों में इजाफा किया है. केंद्रीय कैबिनेट ने इथोनॉल की कीमतों में इजाफे को अपनी मंजूरी दे दी है. सरकार ने एथेनॉल की कीमतों में 30 पैसे लेकर 2 रुपये तक का इजाफा किया है और इसका फायदा सीधा किसानों को होगा.

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देश में दो तरहे के एथेनॉल का निर्माण किया जा रहा है. सी-हैवी मोलसेस वाले एथेनॉल की कीमत 43.46 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 43.75 रुपये लीटर कर दी गई हैं. 

बी- हैवी मोलसेस की कीमतें 52.43 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 54.27 रुपये प्रति लीटर कर दी गई हैं. गन्ने के रस, शक्कर और शक्कर से सीरप से बनने वाले एथेनॉल की कीमत 59.48 रुपये प्रति लीटर कर दी गई हैं. एथेनॉल की नई कीमतें 1 दिसंबर से लागू होंगी. 

एथेनॉल को गन्ने या मक्का की फसल से तैयार किया जाता है. देश की कई चीनी मिलों में इसका उत्पादन हो रहा है. एथेनॉल के दाम बढ़ने से चीनी मिलों को राहत मिलेगी और इसका सीधा फायदा किसानों को होगा. 

इथोनॉल एक तरह का ईंधन होता है और इसे पेट्रोल के साथ मिलाकर गाड़ियों में इस्तेमाल किया जाता है. सरकार भी एथेनॉल के उत्पादन और इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है ताकि, पेट्रोल-डीजल पर उसकी निर्भरता कम हो सके. खास बात ये है कि इससे प्रदूषण भी कम होता है क्योंकि, इसमें ऑक्सीजन की मात्रा ज्यादा होती है.

 

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सरकार ने अगले साल यानी 2020 तक पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल मिक्सिंग का टारगेट तय किया है. अभी यह लगभग 3 फीसदी है. दुनिया के कई देशों में तो पेट्रोल में एथेनॉल की मिक्सिंग 25 फीसदी तक है.

सरकार ने एथेनॉल के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए इस पर लगने वाले जीएसटी को 18 से घटाकर 12 फीसदी कर दिया था. चीनी मिलों में गन्ने के रस से बायो प्रोडेक्ट शीरा (Molasses) तैयार किया जाता है. शीरे से एथेनॉल बनता है. शीरे से शराब भी बनती है. 

कैबिनेट के फैसले-

- 2014 में एथेनॉल मिक्सिंग का टारेगट 5 फीसदी था. लेकिन 1.53 फीसदी ही मिक्स हो पाता था.

- 2014-19 में एथेनॉल मिक्सिंग बढ़कर 6.20 फीसदी हो गया है.

- 2013-14 में विभिन्न इंडस्ट्री से 38 करोड़ लीटर एथेनॉल मिलता था. 

- इस बार 200 करोड़ लीटर हो गया है, अगले साल 260 करोड़ लीटर का टारगेट है.

- 2013-14 में 1355 करोड़ रुपये की एथेनॉल खरीदा गया था.

- 2018-19 में यह खरीद बढ़कर 5456 करोड़ रुपये पर पहुंच गई. 

- अगले साल एथेनॉल खरीद का आंकड़ा 7000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगा.

- शुगर सीरप से भी तैयार होने वाले एथेनॉल को सरकार खरीदेगी. 

- अगर चीनी मिलें चीनी की एथेनॉल बनाएगी, उसे भी सरकार खरीदेगी. 

- सरप्लस अनाज की स्थिति में सड़े गेहूं, मक्का और चावल से बने एथेनॉल को भी खरीदा जाएगा.

- सी- हैवी एथेनॉल 43.46 रुपये से बढ़ाकर 43.75 रुपये प्रति लीटर किया गया. (0.29 रुपये का इजाफा)

- बी हैवी एथेनॉल 52.43 रुपये से बढ़ाकर 54.27 रुपये/लीटर किया गया. (1.84 रुपये का इजाफा)

- गन्ने का रस/सीरप या चीनी का एथेनॉल 59.19 से बढ़ाकर 59.48 रुपये (0.29 रुपये का इजाफा) किया है.

- सरकार ने एथेनॉल की खरीद की 5 गारंटी देने का ऐलान किया है.

तीन कैबिनेट की बैठक और तीन फैसले

पिछली तीन कैबिनेट की बैठकों में सरकार ने गन्ना किसानों को लिए लगातार तीन बड़े फैसले लिए हैं. पहली बैठक में चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक तैयार करने का फैसला लिया गया. इसके लिए 1674 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया था. दूसरे फैसले में चीनी की एक्सपोर्ट सब्सिडी का ऐलान किया गया. इसमें 60 लाख टन चीनी निर्यात करने के लिए शुगर मिलों को 6268 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने का ऐलान किया गया था. खास बात ये है कि चाहे बफर स्टॉक की रकम हो या एक्सपोर्ट सब्सिडी की रकम, किसान के बैंक खाते में सीधी ट्रांसफर की जाएगी.

और इस बार तीसरी बैठक में एथेनॉल की कीमतों में इजाफा कर चीनी मिलों और गन्ना किसानों को राहत देने की कोशिश की गई है.