पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने अपने सागरमाला प्रोग्राम के तहत देश के सामाजिक और नियामक वातावरण को मजबूती देने के लिए समुद्री उद्योग में अनेक सुधारों और पहलों की शुरूआत की है. मंत्रालय की प्रमुख पहलों में से एक पहल फ्लोटिंग जेट्टी इको-प्रणाली की अनोखी और इनोवेटिक कॉनसेप्ट को प्रोत्साहित और विकसित करना है. इस क्रम में जब इनकी तुलना ट्रेडिशनल फिक्स्ड जेट्टियों से की जाती है तो इनके कई फायदे सामने आते हैं, जैसे पर्यावरण अनुकूलता, लंबे समय तक संचालित होने की क्षमता और इनका मॉड्यूलर ढांचा.

कर्नाटक में हो जाएंगे कुल 11 फ्लोटिंग जेट्टी प्रोजेक्ट्स

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सागरमाला के अधिकार-क्षेत्र में मंत्रालय ने सैद्धांतिक रूप से 4 अतिरिक्त प्रोजेक्ट्स स्वीकार किए हैं, जिन्हें मिलाकर कर्नाटक में कुल 11 फ्लोटिंग जेट्टी प्रोजेक्ट्स हो जाएंगे. ये प्रोजेक्ट्स मुख्य रूप से गुरुपुरा नदी और नेत्रावती नदी पर स्थित हैं और इन्हें पर्यटन के उद्देश्य से इस्तेमाल किया जाएगा. थान्नीर भावी चर्च, बांगड़ा कुलुरू, कुलुरु ब्रिज और जप्पीना मोगारू एनएच ब्रिज अन्य जगहें हैं.

तमिलनाडु में भी 4 फ्लोटिंग जेट्टी प्रोजेक्ट्स को मिली स्वीकृति

इनके अलावा मंत्रालय ने तमिलनाडु में भी 4 फ्लोटिंग जेट्टी प्रोजेक्ट्स को स्वीकृति दी है. अग्नि तीर्थम् और विल्लूडी तीर्थम के प्रोजेक्ट्स रामेश्वरम में स्थित हैं, जो भारत का एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थान है. साथ ही, कुड्डलोर और कन्याकुमारी के प्रोजेक्ट्स से इन विशिष्ट पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की जरूरतें पूरी होंगी. ये प्रोजेक्ट्स सुरक्षित और पर्यटकों को अड़चन रहित परिवहन की सुविधा देने में सहायक होंगी और तटीय समुदाय के आमूल विकास और उन्नयन का मार्ग प्रशस्त करेंगी.

पर्यटन और क्षेत्रीय कारोबार और रोजगार के खुलेंगे अवसर

अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल ने कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री मजबूत कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने पर जोर देते हैं, जो विकसित भारत के निर्माण के लिए आवश्यक है. इन जेट्टियों के चालू होने से कर्नाटक और तमिलनाडु के इन क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास को गति मिलेगी और जल संबंधी पर्यटन और क्षेत्रीय कारोबार के लिए नए रास्ते खुलेंगे. इसके साथ ही स्थानीय आबादी के लिए ज्यादा रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.’