Retail Inflation: महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी को थोड़ी राहत देते हुए सरकार ने सोमवार को बताया कि जनवरी के महीने में मुद्रास्फीति घटकर अपने तीन महीने के निचले स्तर पर आ चुकी है. मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कम कीमतों के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Cnsumer Price Index) पर आधारित महंगाई दर जनवरी के महीने में 5.1 फीसदी पर थी. यही पिछले महीने दिसंबर 2023 में 5.69 फीसदी और जनवरी 2023 में 6.52 फीसदी पर थी. अगस्त 2023 के महीने में मुद्रा स्फीति 6.83 फीसदी के उच्चतम स्तर तक पहुंच गई थी. 

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राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, फूड बास्केट में रीटेल इंफ्लेशन जनवरी 2024 में 8.3 फीसदी थी, जो कि पिछले महीने में 9.53 फीसदी थी. 

हालांकि, महीने के दौरान सब्जियों, दालों और मसालों की कीमतों में दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज की गई। लेकिन राहत की बात रही कि कि खाना पकाने के लिए तेल की कीमतों में गिरावट जारी रही.

सब्जियों की कीमतें बढ़ीं

आंकड़ों से पता चलता है कि सब्जियों की कीमतें 27.03 प्रतिशत तक बढ़ गईं, जो दिसंबर के दौरान 31.34 प्रतिशत से कम थी. जहां तक दालों का सवाल है, कोई राहत नहीं मिली. वे 19.54 प्रतिशत महंगी हो गईं, जबकि मसाले 16.36 प्रतिशत महंगे हो गए. अनाज की कीमतें जनवरी में 7.83 फीसदी बढ़ीं, जो दिसंबर में 9.53 फीसदी थीं.

RBI ने नहीं बदली ब्याज दर

उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति अब RBI के 2-6 प्रतिशत टारगेट के बीच से थोड़ा ऊपर है. यही कारण है कि आरबीआई आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती नहीं कर रहा है. RBI मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखना चाहता है और उसने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षाओं में लगातार छह बार रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है.