उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुझाव दिया है कि सूखे की स्थिति में किसानों को राहत पहुंचाने के लिये सूखा घोषित क्षेत्रों में फसल क्षति की सीमा को 33 प्रतिशत से कम करते हुए 20 प्रतिशत किया जाए. उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड की ऋण व्यवस्था को फसल के स्थान पर भूमि क्षेत्रफल के आधार पर बनाये जाने का भी सुझाव दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित नीति आयोग की संचालन परिषद की पांचवीं बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूखा राहत के बारे में क्षति की सीमा घटाने की वकालत करते हुए कहा, 'किसानों को सूखा घोषित क्षेत्रों में फसल क्षति तभी दी जाती है जब खेती का नुकसान कम से कम 33 प्रतिशत हुआ हो जिसके कारण काफी किसान राहत लेने से वंचित रह जाते हैं. अतः सुझाव है कि इस सीमा को कम करते हुए 20 प्रतिशत करने पर विचार कर लिया जाए.’’

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मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ‘‘बाढ़ मेमोरेण्डम के आधार पर परिसम्पत्तियों के रेस्टोरेशन हेतु भारत सरकार द्वारा एक माह के अंदर निरीक्षण कराकर राज्यों को अपेक्षित सहायता प्राथमिकता पर उपलब्ध करायी जाए.’’ उन्होंने सुझाव दिया कि आपदाओं से क्षतिग्रस्त होने वाली परिसम्पत्तियों के पुनर्निर्माण व बहाली की अवधि को स्पष्ट किया जाए और कम से कम चार माह कर दिया जाए क्योंकि एक ही स्थान पर बाढ़ की पुनरावृत्ति होती है.’’ 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमारा आग्रह है कि राज्य आपदा राहत कोष (एस.डी.आर.एफ.) के अंतर्गत राहत की विभिन्न मदों में वर्तमान में देय सहायता बढ़ायी जाए.' उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गन्ना किसानों की मदद के लिए पूरी तरह से कटिबद्ध है. योगी ने यह भी सुझाव दिया कि किसान क्रेडिट कार्ड की ऋण व्यवस्था को फसल के स्थान पर भूमि क्षेत्रफल के आधार पर बनाये जाने से किसानों को अधिक साख-सीमा उपलब्ध हो सकेगी. अतः इस विषय में भी विचार कर लिया जाए.

मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के खर्चों के लिए केंद्र से मिलने वाली सहायता की दरें बढ़ाए जाने का भी सुझाव दिया. उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा सुझाव है कि कोटेदारों को अनुमन्य लाभांश/मार्जिन मनी की धनराशि रूपये 70 प्रति क्विंटल से बढ़ाकर रूपये 125 प्रति क्विंटल किये जाने पर विचार किया जाए.’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि निवेश पर देय अनुदान का डीबीटी के माध्यम से भुगतान करने वाला उत्तर प्रदेश देश में पहला राज्य बन गया है. पिछले दो वर्षों में 50 लाख से अधिक किसानों को डीबीटी के माध्यम से 1,200 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि सीधे उनके खाते में भेजी गयी है.