US Fed Chariman जेरोम पॉवेल की कॉमेंट्री के बाद शेयर बाजारों में थोड़ी सुस्ती देखने को मिली है. उन्होंने महंगाई पर एक बार फिर से चिंता जताई है और कहा है कि ब्याज दरों में एक बार फिर से बढ़ोतरी करने की जरूरत पड़ सकती है. लेकिन इसी बीच भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर (RBI Governor) शक्तिकांत दास की ओर से पॉजिटिव आउटलुक आया है. भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चीजें अभी चीजें कहीं ज्यादा बेहतर दिख रही हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि भारत की आंतरिक मजबूती और बेहतर नीतिगत कदम से आर्थिक वृद्धि मजबूत हो रही है, जबकि महंगाई भी काबू में आ रही है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक पूरी तरह से सतर्क है और मौद्रिक नीति का रुख आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के साथ महंगाई को काबू में लाने पर है.

क्या कुछ बोले आरबीआई गवर्नर?

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दास ने जापान के तोक्यो में उद्योग मंडल तोक्यो चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में भारतीय आर्थिक अध्ययन संस्थान की भारतीय अर्थव्यवस्था पर संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह ‘संतोष की बात है कि भारतीय अर्थव्यवस्था हाल के वर्षों में उतार-चढ़ाव भरे हालात में भी यह सुगमता से आगे बढ़ी है. अपनी अंतर्निहित मजबूती और सूझबूझ के साथ नीतिगत उपायों से वृद्धि को गति और मजबूती मिल रही है. साथ ही मुद्रास्फीति भी काबू में आ रही है.’’.

उन्होंने कहा कि हमारा आर्थिक प्रदर्शन महामारी के समय से सोच-विचार कर किये गये उपायों, उपयुक्त मौद्रिक तथा राजकोषीय नीतियों के दम पर बेहतर रहा है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वृहद आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों को मजबूत करने पर नीतिगत ध्यान और निरंतर संरचनात्मक सुधारों ने भारत को वृद्धि के मामले में विशिष्ट बनाया है.

कैसी रही है GDP वृद्धि दर?

यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के आंकड़ों से पता चलता है. महामारी के बाद जीडीपी वृद्धि में 2020-21 में 5.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी. वहीं 2021-22 में 9.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई. वित्त वर्ष 2022-23 में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ स्थिति बदली है. दास ने कहा कि कि 2023-24 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई. जो महत्वपूर्ण आंकड़े (जीएसटी, बिजली खपत आदि) हैं, वे संकेत देते हैं कि वृद्धि की गति जारी रहेगी. आरबीआई ने 2023-24 के लिये जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है.

महंगाई पर क्या मिल रहे हैं संकेत?

मुद्रास्फीति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपनी अक्टूबर की बैठक में 2023-24 के लिये खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो 2022-23 के 6.7 प्रतिशत से कम है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर तीन महीने के निचले स्तर पर आ गयी है. अक्टूबर महीने का महंगाई का आंकड़ा 13 नवंबर को जारी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हालांकि सकल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति खाद्य कीमतों के झटकों को लेकर संवेदनशील बनी हुई है. वहीं मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति जनवरी, 2023 में अपने उच्चस्तर पर पहुंचने के बाद 1.70 प्रतिशत नीचे आ चुकी है. 

दास ने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में मौद्रिक नीति का रुख सतर्क बना हुआ है और यह आर्थिक वृद्धि को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप रखने को कीमतों को नीचे लाने की दिशा में काम कर रही है.’’ मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मुख्य नीतिगत दर रेपो को अक्टूबर में द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा. यह लगातार चौथी बार था, जब रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया. एमपीसी की अगली बैठक दिसंबर की शुरुआत में होने वाली है.

UPI Payment पर भी कही ये बात

दास ने यह भी कहा कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने भारत में फिनटेक क्रांति में अभूतपूर्व भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा कि इसकी सफलता की कहानी वास्तव में एक अंतरराष्ट्रीय मॉडल बन गई है. ‘मोबाइल एप्लिकेशन’ के माध्यम से बैंक खातों के बीच तुरंत धन का अंतरण करने की इसकी क्षमता ने लोगों के डिजिटल लेनदेन के तरीके को बदल दिया है. दास ने कहा, ‘‘इसके अलावा यूपीआई को अन्य देशों की तेज भुगतान प्रणालियों के साथ जोड़ने का भी काम जारी है. फिनटेक का लाभ उठाने और सीमापार से भुगतान को अधिक कुशल और सस्ता बनाने के लिये भारत और जापान की तेज भुगतान प्रणालियों को जोड़ने की संभावना का पता लगाया जा सकता है.’’

(भाषा से इनपुट)