देश की विकास दर 6% रहने का अनुमान, RBI ने कहा- आने वाले दिनों में मिलेगी राहत
RBI governer Shaktikanta Das: शक्तिकांत दास ने कहा कि मॉनिटरिंग पॉलिसी फ्रेमवर्क (MPF) पिछले तीन साल से काम कर रहा है. केंद्रीय बैंक आंतरिक तौर पर इस बात का विश्लेषण कर रहा है कि आखिर MPC फ्रेमवर्क कितना कारगर रहा है.
RBI governer Shaktikanta Das: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) का कहना है कि अगले वित्त वर्ष में देश की विकास दर (GDP Growth) छह प्रतिशत रहने का अनुमान है. साथ ही उन्होंने कहा कि नीतिगत दर (रेपो रेट) में कटौती का नीचे तक पहुंचने की रफ्तार आने वाले दिनों में और सुधरेगी. साथ ही अर्थव्यवस्था में ऋण उठाने की गतिविधियां भी बेहतर हुई है. मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ने और वैश्विक बाजार की परिस्थितियों के कारण केंद्रीय बैंक (Central Bank) ने इस महीने की शुरुआत में 2020 की अपनी पहली मौद्रिक समीक्षा नीति में नीतिगत दर (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया था. रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल (Board of directors of reserve bank) की बैठक के बाद यहां संवाददाताओं से बातचीत में दास ने कहा कि नीतिगत दर में कटौती का नीचे तक असर लगातार सुधार रहा है. इसके आगे और बेहतर होने की उम्मीद है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने भी केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल की बैठक को संबोधित किया. कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह को लेकर बैंकों की निगरानी की जा रही है. आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में देश की विकास दर (GDP Growth) छह प्रतिशत रहने का अनुमान है.
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की आर्थिक समीक्षा के आधार पर अगले वर्ष की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान लगया गया है. बजट के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आरबीआई सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दास ने यह बात कही.
शक्तिकांत दास ने कहा कि मॉनिटरिंग पॉलिसी फ्रेमवर्क (MPF) पिछले तीन साल से काम कर रहा है. केंद्रीय बैंक आंतरिक तौर पर इस बात का विश्लेषण कर रहा है कि आखिर MPC फ्रेमवर्क कितना कारगर रहा है. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो भारतीय रिजर्व बैंक सरकार के साथ बातचीत भी करेगी.
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दरअसल, मॉनिटरिंग पॉलिसी फ्रेमवर्क के तहत आरबीआई हर दो महीने पर देश की अर्थव्यवस्था को लेकर चर्चा करता है. ये मीटिंग तीन दिनों तक चलती है और इसकी अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर करते हैं. इसी मीटिंग में रेपो रेट कटौती को लेकर फैसले लिए जाते हैं.