सरकार ने सट्टेबाजी (Betting/Gambling) पर सख्ती बढ़ा दी है. सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने मीडिया से कहा है कि सट्टेबाजी से जुड़े किसी तरह के विज्ञापन (Advertisement) ना दिखाएं. साफ-साफ कहा गया है कि सट्टेबाजी के डायरेक्ट या इनडायरेक्ट किसी भी तरह के विज्ञापन ना दिखाए जाएं. यह भी साफ किया गया है कि अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो मीडिया के खिलाफ सख्त एक्शन भी लिया जा सकता है.

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सरकार का मानना है कि सट्टेबाजी के विज्ञापनों में कालाधन काफी हद तक शामिल होता है. ऐसे में सट्टेबाजी के विज्ञापनों पर रोक लगाना जरूरी है. यही वजह है कि चैनलों और अखबारों से सट्टेबाजी के विज्ञापन ना दिखाने के लिए कहा जा रहा है. इस वक्त एशिया कप समेत कई खेल गतिविधियों के शुरू होने का समय है, ऐसे में सरकार ने इस तरह के विज्ञापन को लेकर चेतावनी जारी है.

कालेधन के खिलाफ मोदी सरकार अक्सर ही कोई ना कोई सख्त कदम उठाती रही है. नोटबंदी भी इसी मकसद से की गई थी, ताकि कालेधन पर लगाम लगाई जा सके. वहीं अब सट्टेबाजी पर सरकार सख्त हो गई है, ताकि कालेधन पर लगाम लगे.

ये पहली बार नहीं है कि सरकार ने सट्टेबाजी के विज्ञापन पर रोक लगाने की कोशिश की है. पहली भी सरकार इसे लेकर एडवाइजरी जारी करती रही है. मीडिया से लेकर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स तक को कहा गया था कि वह इस तरह के विज्ञापन ना दिखाएं. भारत में सट्टेबाजी और जुआ खेलना अवैध है. इसी के चलते इनके विज्ञापनों को दिखाया जाना भी अवैध गतिविधि ही माना जाता है.

इसी वित्त वर्ष की शुरुआत में अप्रैल के दौरान भी आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने मीडिया को सट्टेबाजी के विज्ञापनों से दूर रहने को कहा था. मुख्य धारा के कुछ अंग्रेजी और हिंदी अखबारों में सट्टेबाजी से जुड़े कुछ विज्ञापन देखे गए थे, जिसके बाद सरकार ने यह फैसला लिया था और सट्टेबाजी से जुड़े विज्ञापन ना दिखाने को लेकर एडवाइजरी जारी की थी.