उपभोक्ताओं को आसान और सस्ता न्याय दिलाने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने उपभोक्ता अदालतों और फोरम में फीस घटाई है. अब पांच लाख तक के मामलों में फीस ₹500 से घटाकर शून्य कर दिया गया है. एक करोड़ रुपए तक के मामले में फीस दो हजार रुपए है. वहीं, 10 करोड़ तक के केस में शुल्क 1 लाख रुपए था, ये अब मात्र ₹7500 रुपए हो गया है. उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने नोटीफिकेशन जारी कर दिया है.  

पांच लाख रुपए तक नहीं लगेगी कोई फीस

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक पांच लाख रुपए तक कोई फीस नहीं लगेगी. पांच लाख रुपए से अधिक और 10 लाख रुपए तक फीस 200 रुपए होगी. 10 लाख रुपए से अधिक और 20 लाख रुपए तक 400 रुपए तक, 20 लाख रुपए से अधिक 50 लाख रुपए तक एक हजार रुपए तक फीस होगी. 50 लाख रुपए से अधिक और एक करोड़ रुपए तक दो हजार रुपए, एक करोड़ रुपए से अधिक और दो करोड़ रुपए तक 2500 रुपए तक फीस होगी. दो करोड़ रुपए से अधिक और चार करोड़ रुपए तक तीन हजार रुपए फीस होगी.

10 करोड़ रुपए से अधिक 7500 रुपए फीस

चार करोड़ रुपए से अधिक और छह करोड़ रुपए तक चार हजार रुपए, छह करोड़ रुपए से अधिक और आठ करोड़ रुपए तक पांच हजार रुपए फीस होगी. आठ करोड़ रुपए से अधिक और 10 करोड़ रुपए तक 6000 रुपए और 10 करोड़ रुपए से अधिक 7,500 रुपए फीस होगी. 17 अगस्त 2023 से नई फीस लागू हो जाएगी. गौरतलब है कि सरकार ने आदेश जारी कर सरकारी उपभोक्ता मामलों में पैनल में शामिल मध्यस्थों को तीन हजार रुपए से पांच हजार रुपए के बीच मेहनताना देने की घोषणा की थी. 

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें

उपभोक्ता मामलों की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक  जिला आयोग में सफल मध्यस्थता के लिये मध्यस्थ को लगभग तीन हजार रुपए दिये जाएंगे. वहीं राज्य आयोग में 5,000 रुपये का भुगतान किया जाएगा. इसके अलावा, जिला आयोग में भले ही संबंधित मामलों की संख्या कुछ भी हो, मध्यस्थता के लिये लगभग 600 रुपये प्रति मामले और अधिकतम 1,800 रुपये का भुगतान किया जाएगा.