प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत कारोबार सुगमता के मामले में अगले साल तक शीर्ष 50 देशों में शामिल होने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है. विश्वबैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग रिपोर्ट में भारत ने 75 स्थानों की छलांग लगाते हुये 77वां स्थान हासिल किया है. वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन के नौवें संस्करण के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘मैंने अपनी टीम से कड़ा परिश्रम करने को कहा है ताकि देश को अगले साल कारोबार सुगमता रैकिंग में शीर्ष 50 देशों की सूची में स्थान दिलाया जा सके. मैं चाहता हूं कि हमारे नियमन और प्रक्रियाएं दुनिया में सर्वश्रेष्ठ से तुलना करने लायक हों. हमने कारोबार करने की लागत को भी कम किया है.’’ 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सुधारों और नियमों को सरकार की कोशिश

मोदी ने कहा कि उनकी सरकार का ध्यान उन बाधाओं को हटाने पर है जो देश को उसकी क्षमताओं के हिसाब से प्रदर्शन करने से रोक रही हैं. हम सुधारों और नियमों को सरल बनाने की प्रक्रिया जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि माल एवं सेवाकर को लागू करने और कई करों को एकसाथ मिलाकर प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं. इसने प्रक्रियाओं को प्रभावी बनाया और लेनदेन की लागत को कम किया. डिजिटल प्रक्रियाओं, ऑनलाइन लेनदेन और एकल इंटरफेस पर भुगतान ने भी कारोबार को सुगम बनाया है.

ये है मोदी सरकार का मंत्र

मोदी ने कहा कि कारोबार करने को स्मार्ट बनाने पर भी उनकी सरकार का ध्यान है. इस दिशा में सरकारी खरीद को आईटी आधारित बनाया गया है और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया गया है. मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ‘सुधार, प्रदर्शन, बदलाव और बेहतर प्रदर्शन’ के मंत्र पर काम करते हुये ‘न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन’ का लक्ष्य लेकर काम कर रही है.

चार साल में मजबूत हुई अर्थव्यवस्था

मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद पिछले चार साल में इस दिशा उठाए गए कदमों की गंभीरता स्पष्ट तौर पर दिखती है. देश और उसकी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए उनकी सरकार ने बुनियादी सुधार के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि इन सुधारों में उन बाधाओं को हटाना शामिल है जो भारत को पूरी क्षमता से काम करने से रोक रहे थे. इस वजह से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और मूडीज जैसे वैश्विक आर्थिक संस्थानों ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था में अपना भरोसा जताया है. उन्होंने कहा, ‘‘हम सुधारों और नियमों को सरल बनाने की गति को बरकरार रखेंगे.’’ 

263 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश

मोदी ने कहा कि उनकी सरकार की नीतियों ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लाने में मदद की है. पिछले चार साल में 263 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश हुआ. यह पिछले 18 साल में आए एफडीआई का 45 प्रतिशत है. उन्होंने कहा, ‘‘अब हमारी अर्थव्यवस्था के अधिकतर क्षेत्र एफडीआई के लिए खुले हैं. 90 प्रतिशत से अधिक निवेश प्रस्तावों को स्वत: मंजूरी मार्ग के जरिये ही मंजूरी मिल जाती है. इसने हमारी अर्थव्यवस्था को तेज वृद्धि के रास्ते पर लाया है.’’

सालाना GDP 1991 के बाद सबसे अधिक

मोदी ने कहा कि पिछले चार साल के दौरान देश की औसत सालाना जीडीपी वृद्धि 7.3 प्रतिशत रही है, जो 1991 के बाद से सर्वाधिक है. उन्होंने कहा कि देश के सामने विकास और वृद्धि दोनों क्षेत्रों में आगे बढ़ाने की चुनौती बरकरा है. विस्तार के तौर पर हमें विकास का लाभ पीछे रह गये क्षेत्रों और समुदायों तक पहुंचाना है जबकि वृद्धि के तौर हमें लोगों के जीवन स्तर, सेवाओं और बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है.

न्यू इंडिया बनाने के लिए कोशिश

युवाओं के लिए रोजगार निर्माण की जरूरत पर बल देते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के फैसलौं से न सिर्फ कारोबार सुगमता आई है बल्कि लोगों का जीवन भी आसान हुआ है. मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ‘न्यू इंडिया’ बनाने में मदद के लिए अगली पीढ़ी को सड़क, बंदरगाह, रेलवे, हवाईअड्डे, दूरसंचार, डिजिटल नेटवर्क और ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक निवेश के लिए उत्सुक है.

उल्लेखनीय है कि वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन की अवधारणा मोदी ने 2003 में की थी. उस समय वह राज्य के मुख्यमंत्री थे. इसके पीछे उनका लक्ष्य राज्य को देश का प्रमुख निवेश गंतव्य बनाना था.

(भाषा)