एक हफ्ते में दूसरी कैबिनट बैठक में मोदी सरकार (Modi Government) ने एक बार फिर राहत पैकेज का पिटारा खोला है. इस बैठक में किसान हित (Farmers' Welfare) में कई फैसले लिए गए हैं. बैठक में किसानों के लिए तीन बड़े निर्णय लिए गए.

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हालांकि, कैबिनेट की बैठक (Cabinet Meeting) बुधवार को आयोजित होती है, लेकिन इस बार मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में सोमवार को ही कैबिनेट की बैठक की थी. इस बैठक में किसान, लघु उद्योग और रेहड़ी पटरी वालों के हित में कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए थे.

किसानों को फसल बेचने की छूट

सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक (Cabinet Meeting) में एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट (Essential Commodities Act amended) में बदलाव पर फैसला लिया गया. इस अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी गई है. इस संशोधन के बाद अब किसान सीधे अपनी फसलें किसी भी बाजार में बेच सकेंगे. अब देश में किसानों के लिए एक देश एक बाजार होगा. सरकार ने एक देश-एक बाजार (One Nation One Market) की नीति को मंजूरी दी है.

बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा के दौरान ही एग्रीकल्चर रिफॉर्म के सुधार की बात कही थी. पहले किसानों को सिर्फ एग्रीकल्चर प्रोडक्ट मार्केट कमेटी (APMC) की मंडियों में ही अपनी फसल बेचनी होती थी. 

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कैबिनेट के फैसले के बाद किसानों के सामने यह मजबूरी खत्म हो गई है. अब किसान को जहां भी उसकी फसल के ज्यादा दाम मिलेंगे, वहां जाकर अपनी फसल बेच सकता है. इसके लिए एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट 1955 में संशोधन किया जा रहा है.

किसान के लिए खुला बाजार

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कैबिनेट के फैसले को मीडिया से अवगत कराते हुए बताया कि हमारे देश में 85 फीसदी किसान छोटो और मझोला है. संसाधनों की कमी के चलते छोटे किसानों को अपनी उपज का सही दाम नहीं मिल पाता है. इसलिए किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले, इसके लिए कई बड़े बदलाव किए गए हैं. आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि किसानों को उनकी की बिक्री की आजादी के लिए एपीएमसी एक्ट में सुधार नहीं किया गया है बल्कि ये एक नया एक्ट है और यह व्यापार के लिए है. इसका नाम 'किसान उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सरलीकरण अध्यादेश 2020' है.

कोई भी कहीं से भी खरीद सकता है उत्पाद

इस संसोधन से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए जो प्रतिबंध लगे थे, उन प्रतिबंधों से उसे पूरी तरह मुक्त किया जा रहा है. कृषि उपज मंडियां रहेंगी, राज्यों का एपीएमसी से संबंध रहेगा. लेकिन एपीएमसी के बाहर जो सारा क्षेत्र है, चाहे वह किसान का घर ही क्यों न हो, उस घर में भी जाकर कोई कंपनी, संस्था, प्रोसेसिंग यूनिट, किसान उत्पाद संगठन, सहकारी समिति, कोई भी जाकर किसान से उसका उत्पाद खरीद सकती है.

कोई टैक्स नहीं लगेगा

कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि मंडी के बाहर किसान की उपज की खरीद-बिक्री पर किसी भी सरकार का कोई टैक्स नहीं होगा. और न ही कोई कानूनी बंधन होगा. ओपन मार्केट होने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी. जिन व्यक्ति पास पैन कार्ड होगा, वह किसान के उत्पाद खरीद सकता है. 

- कोई भी शुल्क देय नहीं होगा. उपज खरीद के समय नकद या तीन दिन के भीतर उपज का भुगतान करना होगा.

- खरीदार उपज की प्राप्त होने किसान को रसीद देगा, जिसमें उपज की खरीद और उसके पेमेंट का ब्यौरा देना होगा.

- अगर किसान और व्यापारी के बीच कोई विवाद होता है तो एसडीएम-जिलाधिकारी को विवाद निपटारा कराना होगा.

- कोई भी व्यक्ति ई-प्लेटफॉर्म बना सकता है. लेकिन वह केंद्र सरकार के नियमों और काननू के दायरे में यह काम करेगा. 

फसलों के विविधिकरण को बढ़ावा के लिए

मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं के करारों के लिए किसानों का सशक्तिकरण और संरक्षण अधिनियम में भी बदलाव किया गया है.

छोटा किसान है उसके पास तकनीक का भी अभाव है, जानकारी का और पूंजी का भी अभाव है. इसलिए वह अपने खेत में ज्यादा प्रयोग नहीं कर पाता है. इसलिए सरकार ने फसलों के विविधिकरण (Crop Diversification) को बढ़ावा नहीं मिल पाता है.

इस ऑर्डिनेंस के माध्यम से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि अगर किसान को उसकी खरीद की गारंटी मिल जाए किसान अपने खेत में नया प्रयोग करके उत्पादकता और क्वालिटी को बढ़ा सकता है. इसमें जो अनुबंध होगा, उन अनुबंधों के तमाम मॉडल देश की तमाम भाषाओं में उपलब्ध कराए जाएंगे. इस अनुबंध के तहत खरीद-बिक्री के उत्पादों पर राज्य सरकारों का कोई नियम-कानून लागू नहीं होगा. और न ही किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगेगा. 

अनुबंध में न्यूनतम कीमत पर फसल की खरीद-बिक्री का उल्लेख होगा. और अगर फसल बिक्री के समय फसल का मूल्य अधिक हो जाता है तो उस बढ़े हुए मूल्य में किसान का भी हिस्सा होगा. 

इस एग्रीमेंट में किसी भी तरह से किसान का कोई अहित नहीं होगा. किसान की भूमि पर पूरी तरह से किसान का ही अधिकार होगा.