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निर्यातकों के लिए लांच हुई NIRVIK योजना, घटेगी लागत और बढ़ेगा निर्यात

देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कई ऐलान किए हैं. देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर का बनाने के लिए निर्यात को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. इसी कड़ी में वित्त मंत्री ने Exporters के लिए बनी NIRVIK (निर्यात ऋण विकास योजना) स्कीम का ऐलान किया है.
Updated on: February 02, 2020, 02.09 PM IST
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निर्यातकों को सस्ता मिलेगा कर्ज

इसके तहत निर्यातकों को भारतीय मुद्रा में मिलने वाला कर्ज जो अब तक 9 से 11 फीसदी की दर पर मिलता है वह अब 7.5 फीसदी की दर पर मिलेगा. इसी तरह विदेशी मुद्रा में मिलने वाला कर्ज 04 से 05 फीसदी पर मिलने वाला कर्ज 3.5 फीसदी की दर पर दिया जाएगा. सस्ता कर्ज मिलने से निर्यातकों की उत्पादन लागत में कमी आएगी.  

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90 फीसदी क्रेडिट गारंटी मिलेगी

निर्यातकों को एक्सप्रोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा दिए जाने वाले कर्ज पर इंश्योरेंस की सीमा को बढ़ा दिया गया है. अब तक एक्सप्रोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन सिर्फ प्रिंसिपल अमाउंट का 60 फीसदी सीमा तक ही इंश्योरेंस देता था लेकिन अब इस सीमा को बढ़ा कर 90 फीसदी कर दिया गया है.

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निर्यातकों का इंश्योरेंस प्रीमियम घटाया गया

एक्सप्रोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन की ओर से इंश्योरेंस की सीमा बढ़ने के बाद बैंकों का भरोसा बढ़ेगा. ऐसे में बैंक आसानी से निर्यातकों को लेन देने के लिए आगे आएंगे. बढ़े हुए इंश्योरेंस के लिए छोटे निर्यातकों को ज्यादातर प्रीमियम भी नहीं देना होगा. क्योंकि प्रीमियम को 0.72 फीसदी प्रति वर्ष से घटा कर 0.60 फीसदी कर दिया गया है. छोटे निर्यातक ऐसे निर्यातक माने जाते हैं जिनका वर्किंग कैपिटल 80 करोड़ रुपये हो.  

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा होगी आसान

सस्ते कर्ज से निर्यातकों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी. सरकार की इस योजना से लगभग 30 लाख करोड़ रुपये के निर्यातक को सहारा मिलेगा. इससे अर्थव्यवस्था में निवेश और रोजगार के नए अवसर मिलेंगे.

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हाल के वर्षो में वस्तुओं के निर्यात से अधिक सेवाओं का निर्यात हुआ है.

हाल के वर्षो में वस्तुओं के निर्यात से अधिक सेवाओं का निर्यात हुआ है. इस कारण विश्व के वाणिज्यिक सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी पिछले दशकों में बढ़ी है और यह 2018 में 3.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है. यह विश्व के 1.7 प्रतिशत वाणिज्यिक निर्यात से दोगुना है. आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि अप्रैल-सितंबर 2019 के दौरान सेवा क्षेत्र ने कुल एफडीआई इक्विटी आवक में 33 प्रतिशत की छलांग लगाई है और यह आवक 17.58 अरब डॉलर पहुंच गई है. ऐसा सूचना तथा प्रसारण, विमान परिवहन, दूरसंचार, परामर्श सेवाओं तथा होटल और पर्यटन जैसे उप-क्षेत्रों में मजबूत एफडीआई आवक के कारण हुआ है. सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था तथा सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) वृद्धि में लगभग 55 प्रतिशत हो गया है. भारत में कुल दो-तिहाई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आवक हुई है और यह क्षेत्र कुल निर्यात का 38 प्रतिशत हो गया है.