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Budget 2021: सरल भाषा में अनिल सिंघवी से समझें क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में बजट पेश करेंगी. बजट से एक दिन पहले सरकार संसद में आर्थिक सर्वेक्षण (Economic survey) पेश करती है. इसमें अर्थव्‍यवस्‍था का पूरा लेखा-जोखा रहता है.
Updated on: January 20, 2021, 07.24 PM IST
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भारत का आर्थिक सर्वेक्षण

'जी बिजनेस' के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी (Anil Singhvi) आर्थिक सर्वे के महत्व के बारे में बताते हैं कि इसमें अर्थव्‍यवस्‍था के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है. सरकार की आर्थिक नीति का ब्‍योरा भी रहता है. जीडीपी की ग्रोथ क्‍या रही. IIP (Industry and Infrastructure) के आंकड़े कैसे रहे. इसकी पूरी जानकारी आर्थिक सर्वेक्षण में रहती है.  

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मुख्य आर्थिक सलाहकार करते हैं पेश

बजट पेश होने से एक दिन पहले देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (Chief Economic Advisor) द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया जाता है. इस बार यह 31 जनवरी को पेश होगा.

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अर्थव्यवस्था की स्थिति

इकोनॉमिक सर्वे सरकार की पिछले एक साल में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रस्तुत एक रिपोर्ट है जो प्रमुख आर्थिक चुनौतियों का अनुमान लगाती है और उनके संभावित समाधान प्रस्तुत करती है.

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देश की अर्थव्यवस्था

इकोनॉमिक सर्वे में कृषि और उद्योगिक उत्पादन, इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार, आयात, निर्यात, विदेशी मुद्रा भंडार और अन्य संबंधित आर्थिक आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है. इन सभी का असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है और आम बजट में इनकी ओर गौर करने की जरूरत होती है.

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देश की अर्थव्यवस्था को दिशा दिखाता

इकोनॉमिक सर्वे देश की अर्थव्यवस्था को दिशा दिखाता है और इसी से तय होता है कि देश की अर्थव्यवस्था कहां जाने वाली है. इस नीति के जरिए है सरकार तय करती है कि उसे कहां से पैसा जुटाना है और कहां खर्च करना है. सरकार अपनी नीतियों को इसी के आधार पर अंजाम तक पहुंचाती है.

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बजट का आधार है आर्थिक सर्वेक्षण

लोग मानते हैं कि बजट, इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर तैयार होता है. आर्थिक सर्वेक्षण बजट का मुख्‍य आधार है. इसमें प्रधानमंत्री के मुख्‍य आर्थिक सलाहकार की राय शामिल होती है. यह भी जरूरी नहीं है इकोनॉमिक सर्वे की बातें ही बजट में हों. अनिल सिंघवी ने कहा कि बजट आने से पहले आने वाले इकोनॉमिक सर्वे का अध्‍ययन जरूरी है. इसी आधार पर अर्थव्‍यवस्‍था के ताजा आंकड़ों का पता चल सकेगा.

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सिर्फ सिफारिशें होती हैं

आर्थिक सर्वेक्षण भविष्य में बनाई जाने वाली नीतियों के लिए एक आधार का काम करता है. इसमें लगाए गए अनुमान और दिए गए सुझावों से यह पता चलता है कि किन-किन क्षेत्रों में क्या क्या करना है और किस क्षेत्र में कितना काम करने की जरूरत है. इकोनॉमिक सर्वे में सिर्फ सिफारिशें हाती हैं और इन पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं होती.  पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में पेश किया गया था. 1964 तक इकोनॉमिक सर्वे को बजट के साथ प्रस्तुत किया जाता था. लेकिन अब बजट से एक दिन पहले जारी किया जाता है.