पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों के लिए वैश्विक कारक जिम्मेदार है. उद्योग मंडल एसोचैम ने यह बात कही. उसने उम्मीद जताई है कि ईंधन पर करों के बोझ को घटाया जा सकता है. एसोचैम महासचिव उदय कुमार वर्मा ने एक वार्ता के दौरान कहा, "हमारा मानना है कि पेट्रोल-डीजल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाना चाहिये। हालांकि, इस समय यह संभव नहीं है."

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वैश्विक कारणों से महंगा हो रहा तेल

उन्होंने कहा कि इस समय ईंधन के दामों में लगातार वृद्धि की वजह वैश्विक कारक हैं. यह उभरते हुये बाजारों को प्रभावित कर रहा है और भारत भी इससे अछूता नहीं है. वर्मा ने कहा कि अन्य प्रमुख विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में मजबूती से रुपये पर दबाव पड़ रहा है.

भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक है

भारत कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातकों में से एक है. जिसके नाते रुपये की विनिमय दर में गिरावट का पेट्रोल-डीजल के दामों पर असर पड़ रहा है. इसके अलावा, मजबूत वैश्विक रुख के बीच कच्चे तेल के दामों में भी तेजी आई है. उन्होंने कहा, "हमें भरोसा है कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक मामले पर नजर बनाये हुये और कर बोझ को कम करने समेत अन्य विकल्पों पर विचार कर रहा है."