भारत और चीन के बीच ट्रेड काफी बड़े स्तर होता है. चीन से आने वाले सामानों में ज्यादातर कच्चे माल होते हैं, जिसमें फार्मा और अन्य शामिल हैं. दोनों देशों के बीच बॉर्डर तल्खी के साथ-साथ ट्रेड को लेकर भी कई बार मुनमुटाव देखने को मिलता रहता है. इस पर नीति आयोग ने भी सुझाव दिया है. आयोग के वॉइस प्रेसिडेंट सुमन बेरी ने कहा कि भारत को चीन से आने वाले कच्चे माल पर से निर्भरता घटाने की जरूरत है.

कच्चे माल की आपूर्ति में डायवर्सिटी लाने की जरूरत

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उन्होंने कहा कि भारत का ध्यान चीन के साथ कुल व्यापार घाटे पर नहीं होना चाहिए, बल्कि कुछ अहम चीजों के आयात पर निर्भरता कम करने पर होना चाहिए. उनके मुताबिक सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (APIs) और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए सप्लाई चेन समेत अहम कच्चे माल की आपूर्ति के लिए अन्य स्रोतों में विविधता लाने की जरूरत है. बता दें कि चीन APIs का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है. साथ ही कई भारतीय कंपनियां विभिन्न दवाओं के उत्पादन के लिए सामग्री के आयात पर निर्भर हैं.

व्यापार घाटे को कम करने की बजाय निर्भरता घटाने पर हो फोकस

सुमन बेरी ने कहा कि भारत का ध्यान चीन के साथ व्यापार घाटे पर नहीं होना चाहिए. इसकी जगह कुछ अहम चीजों के लिए चीन पर हमारी निर्भरता कम करने पर होना चाहिए. दरअसल उनसे पूछा गया था कि चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे को कम करने के लिए भारत को क्या उपाय करने चाहिए. 

US और चीन ने ट्रेड की निर्भरता को बनाया हथियार

बेरी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले 7 सालों में अमेरिका और चीन जैसी बड़ी शक्तियों ने व्यापार में परस्पर निर्भरता को हथियार के रूप में चुना. आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत और चीन के बीच व्यापार 2022 में 135.98 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर को छू गया. इस दौरान चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा पहली बार 100 अरब डॉलर को पार कर गया. बेरी ने कहा कि चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करने के लिए भारत को क्षेत्रवार रणनीति तैयार करनी चाहिए.

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भाषा इनपुट के साथ