केंद्र सरकार की मुश्किल एवं अवहनीय क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस की खोज करने पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को विशेष प्रोत्साहन देने की योजना से ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड के दर्जनों क्षेत्रों से उत्पादन शुरू हो सकेगा. इससे देश का प्राकृतिक गैस उत्पादन बढ़ेगा. अधिकारियों ने रविवार को ये बातें कही. देश में अभी करीब 900 लाख घन मीटर प्राकृतिक गैस का प्रतिदिन उत्पादन होता है. इसे 2022 तक दोगुना करने का महत्वकांक्षी लक्ष्य है. ऐसा करने से आयात पर निर्भरता कम होगी साथ ही प्रदूषण फैलाने वाले तरल ईंधन का इस्तेमाल भी घटेगा. 

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गैस के अधिक भाव की जरूरत 

अधिकारियों ने पेट्रोटेक सम्मेलन से इतर कहा कि ओएनजीसी और ऑयल इंडिया के पास दर्जनों ऐसे क्षेत्र हैं जो सरकार के मौजूदा गैस भाव के आधार पर व्यावहारिक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इस कारण अधिक भाव की जरूरत है. इनके लिये विशेष प्रोत्साहन की सरकार की योजना से इन क्षेत्रों में शीघ्र उत्पादन शुरू करने में मदद मिलेगी. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले महीने कहा था कि ओएनजीसी के मुश्किल क्षेत्रों के लिये मौजूदा प्रोत्साहन के साथ ही विशेष अतिरिक्त प्रोत्साहन दिये जाएंगे. एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हम यह नहीं जानते कि प्रोत्साहन क्या होंगे लेकिन हमें लगता है कि यह गैस का ऊंचा एवं लाभकारी दाम होगा.’’ 

35 अरब घन मीटर गैस का भंडार

अधिकारियों ने कहा कि ओएनजीसी के पास पूर्वी तट पर आंध्रप्रदेश में उथले समुद्र में तथा पश्चिमी तट पर गुजरात एवं मुंबई में खोजे गये क्षेत्रों में उत्पादन योग्य करीब 35 अरब घन मीटर गैस का भंडार है. उन्होंने कहा कि कृष्णा गोदावरी घाटी के तीन खंडों, कच्छ की खाड़ी तथा मुंबई का अपतटीय क्षेत्र करीब 100 लाख घन मीटर प्राकृतिक गैस का प्रतिदिन उत्पादन कर सकता है. इसी तरह बंतुमिली, मांडापेट और भुवनगिरी के तटवर्ती खंडों से भी इतना उत्पादन किया जा सकता है.

 

 

प्रतिदिन उत्पादन बढ़ाया जा सकता है

अरब सागर में मुंबई हाई दक्षिण, नीलम और बी127 समूह के मौजूदा क्षेत्रों में कुछ निवेश कर 50 लाख घन मीटर प्राकृतिक गैस का प्रतिदिन उत्पादन किया जा सकता है. ऑयल इंडिया लिमिटेड के पास आंध्रप्रदेश में कृष्ण गोदावरी घाटी में जमीन पर हुई खोज में तीन अरब घन मीटर उत्पादन योग्य भंडार है. भाव अधिक करने पर इनका उत्पादन भी संभव है. अधिकारियों ने कहा कि यदि सरकार कीमत निर्धारण तथा विपणन की आजादी दे तो इन्हें भी विकसित किया जा सकता है और इनसे कमाई की जा सकती है.

(इनपुट एजेंसी से)