Kisan Andolan: किसान आंदोलन  के कारण दिल्ली से हरियाणा (Haryana) और पंजाब (Punjab) की तरफ जाने वाली सड़कों पर यातायात प्रभावित होने से देश की राजधानी में फलों और सब्जियों की सप्लाई पर असर पड़ा है. केंद्र सरकार द्वारा लागू नए कृषि कानून (new agricultural law) के विरोध में किसान संगठनों का प्रदर्शन रविवार को चौथे दिन भी जारी रहा.

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फल-सब्जियों की बड़ी मंडी दिल्ली की आजादपुर मंडी (Azadpur Mandi) में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर से फलों और सब्जियों की आपूर्ति (fruits and vegetables supply) पर किसान आंदोलन के कारण असर पड़ा है. मंडी के काराबारियों ने बताया कि किसान आंदोलन को लेकर जगह-जगह जाम होने से फलों और सब्जियों की सप्लाई बाधित हुई है.

फल-सब्जियों की सप्लाई पर असर (fruits and vegetables supply)

आजादपुर मंडी (Azadpur Mandi) के कारोबारी व पोटैटो एंड ऑनियन मर्चेंट एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी राजेंद्र शर्मा ने बताया कि प्रदर्शनकारी किसान नेताओं से फलों और सब्जियों की सप्लाई बाधित नहीं करने की अपील की है.

उन्होंने कहा कि किसी भी प्रदर्शन के दौरान दूध, फल, सब्जी जैसी रोजमर्रा की जरूरतों की चीजों की आपूर्ति नहीं रोकी जाती है, लेकिन यहां इनकी आपूर्ति रोकी जा रही है. 

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आजादपुर मंडी (azadpur fruit and vegetable market) में इस समय पंजाब और हिमाचल से आलू की नई फसल की आपूर्ति हो रही है और मंडी में बीते मंगलवार को जहां 1,700 टन से ज्यादा आलू की आवक थी वहां शनिवार को घटकर 783.5 टन रह गई. इसी तरह कश्मीर से सेब की आपूर्ति में कमी आई.

शर्मा ने बताया कि मंडी में न सिर्फ आवक पर असर पड़ा है, बल्कि यहां से उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में फलों और सब्जियों की सप्लाई भी बाधित हुई है।

उधर, ट्रांसपोटर भी बताते हैं कि किसानों के आंदोलन से उत्तर भारत में ट्रकों की आवाजाही पर असर पड़ा है.

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के सेक्रेटरी जनरल नवीन गुप्ता ने बताया कि आंदोलन की वजह से जगह-जगह जाम लगने से ट्रकों की आवाजाही पर असर पड़ा है, जिससे आवश्यक वस्तुओं व जल्द खराब होने वाली वस्तुओं का निर्बाध परिवहन नहीं हो पा रहा है.

आंदोलन चौथे दिन जारी (farmers' protests)

किसानों का आंदोलन (farmers agitation) रविवार को चौथे दिन जारी है. केंद्र सरकार द्वारा लागू नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. दिल्ली-हरियाणा सीमा स्थित सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बताया कि किसान नेताओं की कोर कमेटी की बैठक चल रही है जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी.

किसान, सरकार से नये कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, उनका कहना है कि नये कृषि कानून से किसानों के बजाय कॉरपोरेट को फायदा होगा.

किसान नेता किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की गारंटी चाहते हैं और इसके लिए नया कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. उनकी यह भी आशंका है कि नये कानून से राज्यों के एपीएमसी एक्ट के तहत संचालित मंडियां समाप्त हो जाएंगी जिसके बाद उनको अपनी उपज बेचने में कठिनाई आ सकती है.