भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2018 में 7.4 प्रतिशत रहेगी जबकि 2019 में इसके 7.3 प्रतिशत रहने की संभावना है. मूडीज इंवेस्टर्स सर्विसेज ने गुरुवार को कहा कि इसका बड़ा कारण कर्ज की लागत बढ़ना है, इससे घरेलू मांग घटेगी. मूडीज ने अपनी वैश्विक वृहद परिदृश्य 2019-20 रिपोर्ट में कहा कि 2018 की पहली छमाही (जनवरी-जून) में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत रही. उसके अनुसार वृद्धि दर में यह उछाल नोटबंदी के बाद की तिमाही के तुलनात्मक आधार का प्रभाव दर्शाता है .

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रिपोर्ट के अनुसार, ऊंची ब्याज दर से कर्ज की लागत पहले ही बढ़ चुकी है. मूडीज ने कहा कि उसे उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) 2019 में नीतिगत ब्याज दरों को स्थिर बनाए रखेगा, इससे घरेलू मांग घटेगी. मूडीज ने कहा कि उपरोक्त कारणों से अगले कुछ सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी गति से वृद्धि करेगी. 2019 और 2020 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहेगी जो 2018 के दौरान 7.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर सबसे बड़ा नकारात्मक जोखिम इसके वित्तीय क्षेत्र से जुड़ी चिंताएं हैं. इसके अनुसार, कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी का प्रभाव और रुपये में गिरावट से घरेलू उपभोग की लागत बढ़ी है, साथ ही घरेलू व्यय की क्षमता पर दबाव पड़ा है. कड़ी मौद्रिक नीति से कर्ज की लागत पहले ही बढ़ चुकी है.

मूडीज ने 2019 और 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर भी धीमी रहने की संभावना जताई है. इसके 2.9 प्रतिशत बने रहने के आसार हैं जबकि 2018 और 2017 में वैश्विक वृद्धि अनुमानित 3.3 प्रतिशत रही है.